मानसून के आगमन के साथ ही जैविक खेती की तैयारी

मानसून के आगमन के साथ

 ही जैविक खेती की तैयारी


मानसून भारत में एक महत्वपूर्ण आवागमन (arrival) प्रक्रिया है जिसे मानसून की एंट्री कहा जाता है। मानसून आवागमन ग्रीष्मकाल (summer season) के बाद होता है और अक्टूबर तक देश के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण हो जाता है।


भारत में मानसून की एंट्री दो तरह से होती है - प्री-मानसून (pre-monsoon) और पोस्ट-मानसून (post-monsoon)।


प्री-मानसून बारिश मानसून की प्रारंभिक बूंदों के रूप में मानी जाती है जो ग्रीष्मकाल के अंत में, अप्रैल और मई महीने में होती है। यह बारिश अक्सर दक्षिण भारत के पश्चिमी तटों पर अधिक होती है और वहाँ गर्मी को ठंडक पहुंचाती है। प्री-मानसून बारिश तापमान में गिरावट लाती है और धूल और धुंध को साफ करने में मदद करती है।


पोस्ट-मानसून बारिश मानसून की समाप्ति के बाद होती है, जब वायुमंडलीय शर्मिंदगी बदलती है और तापमान में परिवर्तन होता है। यह बारिश अक्टूबर से दिसंबर तक भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में होती है, औ


र इसका मतलब सालाना संकट (annual rainfall) के रूप में लिया जाता है। पोस्ट-मानसून बारिश खेती के लिए महत्वपूर्ण होती है और इसके बिना किसानों की उपज धनी नहीं हो सकती है।


इस प्रकार, भारत में मानसून की एंट्री उपयोग क्षेत्र और मौसम की आवश्यकताओं पर निर्भर करती है, और इसका प्रभाव अक्टूबर तक पूरा हो जाता है।

 मानसून के आगमन के साथ ही जैविक खेती की तैयारी करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:


1. मानसून आगमन के दिन

 और निर्धारित दिनों में

 वापसी की जांच करें: 

मानसून की प्रारंभिक तिथियों में, निर्धारित दिनों पर मौसम की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि वापसी के दौरान कोई विपरीत मौसमी परिस्थिति न हो जिससे जैविक खेती प्रभावित हो सकती है।


2. जल व्यवस्था की जांच करें: 

अपने खेतों में जल व्यवस्था की जांच करें। उचित जल आपूर्ति के लिए निर्मित की गई कुएं, नालियों, तालाबों, और बांधों का परीक्षण करें। आपके पास सही मात्रा में जल होना चाहिए ताकि बारिश के दौरान आप अपनी फसलों को पानी सप्लाई कर सकें।


3. जैविक खाद की तैयारी करें:

 मानसून के आगमन से पहले जैविक खाद की तैयारी करें। 1000 लीटर पानी में जीवाणु कल्चर तैयार करके फसल की बुवाई से पहले इसका छिड़काव करें। कम्पोस्ट, खाद, खेती संचार यंत्र आदि के उपयोग से जैविक खाद बनाएं। इसे खेत में अच्छी तरह से मिश्रण करें ताकि फसलों को पोषक तत्व प्राप्त हो सकें।


4. बीज चुनें: 

उचित मानसूनी फसलों का चयन करें जो आपके क्षेत्र में अच्छी तरह से उग सकती हैं। आपके क्षेत्र में प्रचलित जैविक फसलों की सलाह लें और उन्हें बीज की खरीद के लिए तैयार करें। बीजों को जीवाणु कल्चर के साथ उपचार करक बीज की बुवाई की तैयारी विशेष तौर से करनी चाहिए


5. खेत संरचना की जांच करें: 

मौसमी परिस्थितियों के अनुरूप अपने खेतों की संरचना की जांच करें। विभिन्न जल संचार तंत्रों, बांधों, नालियों, और आवश्यक खेती सामग्री की सुविधा सुनिश्चित करें।


6. फसलों की बुवाई करें:

 उचित मानसूनी फसलों के लिए समय पर बुवाई करें। अपनी खेती योजना के अनुसार बीजों को बोएं और उन्हें उचित ढंग से स्थापित करें।


7. रोग नियंत्रण का ध्यान रखें: 

फसलों को रोगों से बचाने के लिए उचित रोग नियंत्रण के उपाय अपनाएं। जैविक उपायों का प्रयोग करें जैसे कि प्राकृतिक कीटनाशकों और रोगनाशकों का उपयोग। मिट्टी वाले जैविक घोल का उपयोग करके कीट पतंग और रोगाणु का नियंत्रण किसान आसानी से कर सकता


8. समय पर पानी दें:

 बारिश के दौरान या जब आवश्यकता हो, फसलों को समय पर पानी दें। उचित जल प्रबंधन के साथ, समय पर और सही मात्रा में पानी सप्लाई करें।


9. फसलों की देखभाल करें: 

फसलों की देखभाल करते रहें और उन्हें उचित तरीके से प्रगति पर रखें। उन्हें उचित खाद, पानी, और पोषक तत्वों के साथ प्रदान करें।


इन सरल उपायों का पालन करके आप जैविक खेती की तैयारी कर सकते हैं और बारिश के दौरान फसलों की देखभाल करते हुए उन्हें अच्छी उगाई तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों और किसानों से सलाह लेना भी उपयोगी होगा।

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