How Indian farmers build food forests to fight climate change, agrarian crisis। भारतीय किसान जलवायु परिवर्तन, कृषि संकट से लड़ने के लिए खाद्य वनों का निर्माण कैसे करे।
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How Indian farmers
build food forests to
fight climate
change, agrarian
crisis
भारतीय किसान जलवायु परिवर्तन,
कृषि संकट से लड़ने के लिए खाद्य
वनों का निर्माण कैसे करे।
भारत की 60% आबादी कृषि पर आधारित है, और वन क्षेत्रफल 24.62% है। बाकी क्षेत्रफल में नदियां खेती किसानी शहर और नगर बसा हुआ है। देश में बढ़ती हुई जलवायु परिवर्तन कुछ वर्षों से नजर में आ रहा है। ग्रीष्मकालीन में 44 से 45 डिग्री तक का तापमान बढ़ चुका है, कहीं-कहीं 50 डिग्री पर भी तापमान पहुंच चुका है।
बढ़ते तापमान से फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है, इंसानों की दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है। भूमिगत जल स्तर घटते क्रम में है, कुछ क्षेत्रों में भीषण बाढ़ का भी प्रकोप बढ़ गया है।
कृषि क्षेत्र में भी ग्रीनहाउस विसर्जन अत्यधिक बढ़ गया है, इसलिए किसानों को जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर अपनाना होगा और जलवायु को सुधारते हुए खाद्यान्न का उत्पादन को बढ़ाना होगा।
जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर
क्या है जलवायु परिवर्तन
को रोकते हुए फूड फॉरेस्ट
को कैसे लगाएं।
जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर से हमें जलवायु परिवर्तन को रोकने और जलवायु का सुधार करते हुए खाद्यान्न का उत्पादन करना फूड फॉरेस्ट जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर सर्वप्रथम कृषि प्रणाली है। जिसमें फलों के जंगल लगाकर भूमि के तापमान को नियंत्रित करना भूमि में कार्बन की मात्रा को बढ़ाना ताकि भूमि और कार्बन वायुमंडल से शोषित कर सके जितनी भूमि में कार्बन की बढ़ेगी उतना ही कार्बन वायुमंडल शोषित कर के भूमि स्थिर रखा जा सकता है।
फूड फॉरेस्ट और सब्जी उत्पादन करने के दौरान हमें फसलों के अवशेष पदार्थ को जितना अधिक हो सके भूमि में मन्चिंग करते जाना है, जिसे भूमि की कार्बन स्तर बढ़ेगा और भूमि वायुमंडल से कार्बन को संग्रहित कर सकेगा। इतनी मात्रा में भूमि कार्बन स्तर बढ़ता है, भूमि उसने ही वायुमंडल से कार्बन को लेना शुरु कर देती है। इस तरह से हम प्रकृति में बढ़ते ग्रीन हाउस गैस को कम कर सकते हैं।
किसानों के पास सर्वाधिक भूमि है, किसान अगर जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर को अपनाता है, तो किसान हमारे वायुमंडल में बढ़ते प्रदूषण को भी न्यूनतम स्तर तक ला सकता है।
जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर में पशुपालन को कैसे अपनाएं।
पशुपालन में गाय के गोबर और अन्य पशुओं के मल से मीथेन गैस का अत्यधिक उत्सर्जन होता है, जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर पशुओं के गोबर मल मूत्र का स्मार्ट विधि उपयोग में लाना। जिससे जलवायु में पड़ने वाले प्रभाव को रोका जा सके बायोगैस का निर्माण हर पशुपालक को करना चाहिए। जिससे अच्छी खाद और गैस का उपयोग इंधन के रूप में कर सकें। इस तरह वातावरण में फैलने से गैस को रोका जा सकता है, और गैस का उपयोग कर किसान अपनी ईंधन में होने वाली खर्चा को बचा सकता है।
मत्स्य पालन द्वारा भी मीथेन गैस का विसर्जन होता है। इसे रोकने के लिए मछली पालन के साथ-साथ किसानों को अन्य फसलों का उत्पादन करें, जिसे तालाब के जल में मीथेन गैस का विसर्जन को कम किया जा सके। या जल आधारित फसलें लगाकर भी जल को शुद्ध किया जा सकता है। मत्स्य पालन से और अन्य फसल से अतिरिक्त आमदनी कमाई जा सकती है।
वर्मी कंपोस्ट ब्लैक सोल्जर फ्लाई फार्मिंग द्वारा खाद्यान्न के अवशेष पदार्थ को खाद में परिवर्तित करके भी वातावरण में पड़ने वाले दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है। इस विधि से किसानों को अच्छी खाद और ब्लैक सोल्जर फ्लाई फार्मिंग से मुर्गी मछली को अच्छा भोजन और खाद प्राप्त किया जा सकता है।
जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर द्वारा खाद्यान्न का उत्पादन कैसे बढ़ा सकते हैं।
अंधाधुन यूरिया और रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करते हुए। कृषि कार्य से भूमि मृत हो चुकी है, साथ ही साथ देश में खाद्यान्न उत्पाद का संकट बढ़ने की संभावना बढ़ चुकी है, बढ़ते तापमान जलवायु परिवर्तन से विगत कुछ वर्षों में फसलों के उत्पादन घटते क्रम में आ चुके हैं।
भारत में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए किसानों की पहल आवश्यक हो चुकी है इस पहल को जलवायु स्मार्ट एग्रीकल्चर से ही दूर किया जा सकता है। कृषि उत्पादन को बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन को रोकना कृषि कार्य से ही संभव हो सकता है फूड फॉरेस्ट फुकुओका फार्मिंग मियावाकी विधि से हम कृषि वाले क्षेत्र को फलदार पेड़ के जंगल तैयार करके मिश्रित फसल द्वारा फलों की बागवानी के साथ सब्जी का उत्पादन करते हुए। हम बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए जैविक खाद्यान्न का उत्पादन आसानी से कर सकते हैं । अनाज दलहन तिलहन का उत्पादन फलदार पेड़ के साथ साथ मिश्रित रूप से की जा सकती है।
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Biju kumar: Kheti kisan food forest farming Agriculture in india में उपरोक्त कुछ विशेष लेख के लिंक दिए गए हैं इन्हें जरूर पढ़ें
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