Kheti kisani छत्तीसगढ़ में बाँस के पौधे रोपण जुलाई 2021 Bamboo cultivation.
Kheti kisani छत्तीसगढ़ में बाँस के पौधे रोपण जुलाई 2021।Bamboo cultivation.
छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन सही समय पर शुरू होने से बाँस के पौधे में नये शाखाएं निकलना शुरू हो चुकी है। बाँस के पेड़ जुलाई अगस्त के महीने में नई पौधे निकलने शुरू हो जाते हैं। ऐसे समय में किसान भाई अपने खेत के मेड़ में बाँस का पौधा रोपण कर नई पौधा तैयार करते हैं। इस तरह kheti kisani में बांस की खेती Bamboo cultivation.शुरू की जाती है
छत्तीसगढ़ की बांस की नस्ल और विशेषता।
छत्तीसगढ़ के बस्तर डौंडी विकासखंड सरगुजा आदि आदिवासी क्षेत्रों में बांस के प्राकृतिक पेड़ अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। छत्तीसगढ़ में दो नस्ल की बांस बंबू पाई जाती है। पार बाँस और डोंगरी बाँस छत्तीसगढ़ की मूल नस्ल है। पार बांस पूरी तरह से सीधी बांस होती है। और इनकी मोटाई 1:30 से 3 इंच तक रहती है। पहले के समय में पार बांस का प्रयोग घर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ में बहुत मात्रा में उपयोग की जाती थी। पार बाँस देखने में अति सुंदर बात है इनकी सतह चिकनी और मुलायम होती है। इसलिए इनका उपयोग बांस की टोकरी बनाने में झाड़ू बनाने में और चटाई बनाने हेतु उपयोग में अत्याधिक मात्रा में लाया जाता है। डोंगरी बाँस मजबूत और गठीला बांस होता है मकान के सेंटरिंग आदि में इसका अत्यधिक मात्रा में उपयोग में लाया जाता है यह बांस भी अच्छे वातावरण पर डेढ़ से 3 इंच तक मोटा हो जाता है इन बाँस की लंबाई 15 से 35 फीट तक पाई जाती है। kheti kisani में बांस की खेती Bamboo cultivation.से अनगिनत लाभ मिलने की संभावना रहती है
छत्तीसगढ़ में बांस के पेड़ लगाने की विधि।
छत्तीसगढ़ के बांस का भीरा में से बांस जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। इस उखाड़े हुए बांस के पेड़ को अन्य जगह गहरा गड्ढा करके रोपण कर दिया जाता है। बांस के पौधे में दीमक का आक्रमण होने की वजह से नीम की खली भी 2 किलो मिला के गड्ढे में गोबर खाद के साथ गड्ढे को भर लिया जाता है। यह विधि kheti kisani में बांस की खेती Bamboo cultivation., छत्तीसगढ़ की परंपरागत विधि है।
बांस के पौधे कहां पर लगाई जाना सर्वश्रेष्ठ रहता है।
बांस का पेड़ झाड़ी नुमा गुच्छे में होने वाले पेड़ होते हैं। इसलिए बांस के पेड़ को खेत की मेड पर लगानी चाहिए। मेड पर लगाने पर यह किसानों के खेत का बाड़ा के रूप में भी कार्य में लाया जा सकता है। बांस की खेती Bamboo cultivation.के साथ-साथ बाड़ा द्वारा खेत की सुरक्षा संभव में लाया जा सकता है
किसानों के हजारों लाखों हेक्टेयर भूमि जिस में खेती, कृषि कार्य नहीं हो रही है। ऐसे भूभाग में बांस की खेती Bamboo cultivation.अवश्य करनी चाहिए।
बांस की पौधे लगाने के कितने साल बाद कटाई की सकती है
बांस के पौधे लगाने के उपरांत सही विधि से कि जाने पर यह चौथे 5 वर्ष से बांस कटने हेतु तैयार हो जाती है। और कई वर्षों तक इसकी फसल ली जा सकती है। बांस के एक भीरा में साल में 40 से 60 बाँस औसतन तैयार होते हैं। जिसे ग्रीष्मकालीन महीनों में कटाई कर बेची जा सकती है।
बंजर भूमि में बांस की खेती Bamboo cultivation.करने पर 1 एकड़ पर 1000 से 1500 आसानी से लगाया जा सकता है। और औसतन 50,000 से अधिक बांस कटाई हेतु मिल जाएगा और अच्छी खासी आमदनी कमाए जाते है।
भारत सरकार का बंबू मिशन की तरह बांस की खेती की योजना।
भारत सरकार बंबू मिशन के तहत बांस की खेती Bamboo cultivation.को प्रोत्साहन कर रहा है। ताकि जंगल की कीमती इमारती लकड़ी का कटाव रोका जा सके और पर्यावरण की सुरक्षा की जा सके ऐसे समय में भारतीय कृषि योजना का लाभ उठाते हुए किसानों को बांस की खेती शुरू कर देनी चाहिए और भारतीय कृषि योजना का लाभ उठाना चाहिए। भारत सरकार बंबू मिशन के तहत बांस के पौधारोपण करने पर अनुदान भी स्वीकृत की गई है इस तरह बांस की खेती Bamboo cultivation.किसान मुफ्त में भी शुरू कर सकता है। इसी तरह से अतिरिक्त लागत की संभावना खत्म हो जाती है
बांस के पौधे को नर्सरी में कैसे तैयार किया जाए
बांस की नर्सरी तैयार करने के लिए उपयुक्त समय जुलाई अगस्त का महीना रहता है ऐसे समय में बांस की नर्सरी तैयार करने से पौधे तेजी से तैयार हो जाते हैं।
पॉलीबैग में बांस के कलम का रोपण कर देने से पौधे अति शीघ्र तैयार हो जाते हैं इस पॉलीबैग को कम से कम 1 वर्ष तक बांस लगे रहने देने पर बांस की जड़ पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं आने वाले वर्षों में पॉलीबैग से निकालकर भूमि में रोपण कर देने पर बांस के पौधे की मृत्यु दर कम रहती है यह विधि बांस की खेती की सर्वश्रेष्ठ विधि है।Bamboo cultivation.
किसान भाई अपने खेत पर ही बांस की नर्सरी तैयार कर पौधे का रोपण करने पर पौधे खरीदने की लागत कम हो जाती है। और अपने खाली भूभाग में लगाने के लिए आसानी से पौधा उपलब्ध हो जाता है।
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