छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार कैसे मनाई जाती है। हरेली त्यौहार के बाद बागवानी की कैसे तैयारी करें।

 छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार

 कैसे मनाई जाती है हरेली 

 के बाद बागवानी की तैयारी

 कैसे करें।








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सावन अमावस्या कृष्ण पक्ष
में हरेली का त्यौहार हर साल मनाया जाता है इस वर्ष भी हरेली का त्यौहार छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है। छत्तीसगढ़ में हर वर्ष मानसून आने के साथ-साथ धान की खेती की तैयारी शुरू हो जाती है, धान की खेती की तैयारी में किसान अपने पास उपलब्ध  बीज का उपचार या समिति से मिले हुए बीजों को बीज उपचार कर अपने अपने खेत में बुवाई कर देते हैं इस वर्ष की मानसून अपने सर्वाधिक  चरण सीमा से अधिक बारिश लेकर आई अपने खेत में धान की खेती की तैयारी जोर-शोर से शुरू करते हुए आज दिनांक 28 जुलाई 2022 अपने कृषि कार्य को संपन्न कर हरेली का त्यौहार मनाने में जुट गया है।
हरेली त्यौहार किसानों का त्यौहार है, धान की संपूर्ण बुवई होने के उपरांत किसान इस त्यौहार को मनाता है। इस त्यौहार में नागर बेल कृषि संबंधित
औजारों की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही साथ फसल की अधिक उत्पादन के लिए अपने-अपने कुलदेव देवियों देवताओं की पूजा की जाती है।
छत्तीसगढ़ के गोपालक अपने अपने पशुओं की स्वास्थ्य के लिए अमावस्या में तैयार जड़ी बूटियों बैगा जनजाति के द्वारा तैयार औषधि का सेवन पशु धन की सुरक्षा हेतु पिलाई जाती है।

हरेली के बाद फलों की बागवानी की तैयारी कैसे करें।



हरेली के त्यौहार के बाद किसानों का कृषि कार्य समाप्त हो चुका है। किसान  धान की खेती के साथ-साथ फलदार पेड़ की बागवानी भी शुरू कर सकता है, किसान अपने धान की खेत के मेड़ में अरहर और जिमीकंद की खेती करता है। इन फसलों के साथ ही साथ किसान मध्यम ऊंचाई के पेड़ जैसे सीताफल अमरूद, ड्रैगन फूड, आंवला, केले की खेती भी शुरू कर सकता है, इन मध्यम ऊंचाई के पेड़ ,धान की फसल को किसी भी प्रकार से सूर्य की किरणों को धान की फसल में आने के लिए बाधित नहीं करते, इसलिए इन मध्यम ऊंचाई वाले पेड़ को धान की खेती के साथ-साथ लगा के किसान अतिरिक्त आमदनी कमा सकता है, इन फलदार बागवानी से किसान प्रतिवर्ष सिर्फ मेड से ही 2 से 5 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त कर सकता है।
छत्तीसगढ़ में नारियल की खेती धान की खेती के साथ-साथ किसान शुरू कर सकता है। नारियल की खेती में प्रति एकड़ 70 पौधे लगाए जा सकते हैं, जो धान की खेत की मेड मे लगाने हैं। नारियल की खेती में शुरू के 2 वर्ष की विशेष तैयारी करने होते हैं। जिसमें खाद का प्रबंधन और जल का प्रबंधन प्रमुख होता है नारियल की खेती में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने से शुरू के 2 वर्षों की विशेष तैयारी से आने वाले पांच 6 वर्षों के बाद नारियल में फूल लगना शुरू हो जाता है।
नारियल की खेती के प्रति पेड़ 300 फल तक प्राप्त हो जाते हैं। किसान अगर 70 पेड़ प्रति एकड़ धान की मेड में लगाता है तो प्रति एकड़  ₹420000 की आमदनी आसानी से सिर्फ धान की खेती में नारियल की मिश्रित खेती कर प्राप्त कर सकता है।




धान की खेत की मेड में बागवानी शुरू करने संबंधित क्या क्या सावधानी रखनी होती है।

  1. उत्तर से दक्षिण दिशा जाने वाली मेड में ऐसे फलदार पेड़ लगाएं जो धान की खेत में सूर्य की किरण को बाधित ना करें जैसे 1 वर्षीय केले की खेती जिसमें सिर्फ केले की एक फसल लेनी है। अन्य केले की प्रकद को समय-समय पर हटा दिया जाए केले की इन फसलों को हर 5 से 7 फीट की दूरी में लगाएं।
  1. उत्तर से दक्षिण जाने वाली मेड में हर साल की कटाई छटाई विधि से अमरूद ड्रैगन फूड और एप्पल बेर खेती भी की जा सकती है।
  1. पूर्व से पश्चिम आने वाली मेड़ो में सहजन, सीताफल , नींबू की के पौधे ,अमरूद आदि मध्यम ऊंचाई वाले पेड़ लगा सकते हैं। पूर्व से पश्चिम आने वाली मेड में पेड़ लगाने से सूर्य की किरण धान की खेत को बाधित नहीं करेगी।
  1. नारियल की खेती, नारियल ऐसा पेड़ है जो सूर्य की किरण को बाधित नहीं करता इसलिए नारियल की पौधे को खेत की कोई भी मेड में लगाया जा सकता है।
  1. धान की मेड में बागवानी करते समय यह सावधानी रखना आवश्यक है कि मेड की ऊंचाई धान लगे स्थल से ढाई से 3 फीट ऊंचा से ज्यादा ऊंचा ना रहे इसलिए  ऊंचा होने पर मेड के निचले स्तर पर ही नारियल की पौधे की बुवाई करें।
  1. डेढ़ फीट बाई डेढ़ फीट का गड्ढा तैयार करें। दीमक भगाने के लिए नीम के पत्ते का उपयोग करें जैविक खाद औसतन 15 से 20 किलो खाद प्रति गड्ढे ऊपरी मिट्टी के साथ मिलाकर पौधा का रोपण कर दे।
  1. प्रथम वर्ष 10 से 15 किलो जैविक खाद इस तरह हर वर्ष 10 किलो की मात्रा को बढ़ाते वे प्रति पौधे पौधे के आसपास डालें जैसे प्रथम वर्ष 10 किलो दूसरी बार 20 किलो तीसरे 30 किलो 4 वर्ष 40 किलो जैविक खाद और पत्तों का अवशेष पदार्थ का उपयोग करें
  1. शीत ऋतु में पाला से बचने के लिए पानी का सही प्रबंधन  7 दिन के अंतराल में और ग्रीष्म में ऋतु में जमीन में नमी को बनाए हर तीसरे दिन  पानी का उपयोग करें।

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  1. पौधे के आसपास की भूमि में सूखे पत्ते की अवशेष पदार्थ की मंचिंग को बनाए रखें।

धान के साथ-साथ बागवानी करने से प्रति एकड़ कितनी आमदनी हो सकती है



धान के साथ-साथ मेड में बागवानी करने से किसान प्रति एकड़ लाखों रुपया की आमदनी कमा सकता है नारियल के 70 पौधे लगन लगाने से किसान को प्रति एकड़  420000 रुपए की आमदनी मिलती है इसी तरह से और अन्य फलदार पेड़ की बागवानी से भी 4 लाख से 500000 रुपया की आमदनी प्रति एकड़ आसानी से कमाई जा सकती है।

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