ग्रीष्मकालीन प्राकृतिक खेती की तैयारी

 ग्रीष्मकालीन प्राकृतिक खेती की तैयारी।

ग्रीष्मकालीन में हमारे खेत खलिहान में पेड़ पौधों के पत्ते झड़ने शुरू हो जाते हैं ऐसे समय में किसानों को विशेष तैयारी करनी होती है।



सूखे पत्ते फसलों के अवशिष्ट को खाद के रूप में परिवर्तित करने हेतु और फसलों को सूर्य की तेज घातक किरणों से बचाने के लिए भूमि में पर्याप्त मंचिंग कर देनी चाहिए।

ग्रीष्मकालीन समय में अवशिष्ट पदार्थ से मंचिंग करने से क्या फायदे हैं।






जंगली  खेती में अपशिष्ट पदार्थ फसलों के सूखे पत्तों से भूमि को मचिंग कर दी जाती है। जिससे भूमि की शीतलता बनी रहती है और सूक्ष्म जैविक बैक्टीरिया और केंचुए का विकास क्रम जारी रहता है जो भूमि को उपजाऊ बनाते रहते हैं।
जहर मुक्त खेती करने से भूमि बंजर होने से बचाया जा सकता है, इसलिए फसलों के अवशेष  पेड़ पौधे के सूखे पत्ते का उपयोग   निरंतर करते रहना चाहिए।








sustainable economy के तहत फार्मिंग करने में फसलों के अवशेष महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

टिकाऊ खेती के लिए हमें फसलों के अवशेष को मंचिंग की तरह उपयोग करने से खेती किसानी की लागत शुन्य हो जाती है। sustainable economy  आज की खेती के लिए बहुत ही जरूरी है। बढ़ती खेती की लागत और प्रदूषण जल प्रदूषण वायु प्रदूषण में कुछ हद तक आधुनिक खेती का योगदान है। जिसे हम टिकाऊ खेती के माध्यम से दूर कर सकते हैं और किसानों को अच्छी आमदनी साथ साथ भूमि की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। बढ़ते  बंजर भूमि के वजह से विश्व की खेती योग्य भूमि पूरी तरह से नष्ट होती जा रही है, जो भविष्य में घातक परिणाम दे सकते हैं, इसलिए भूमि में फसलों की अवशेष पदार्थ की मात्रा को बढ़ा के भूमि को घातक सूर्य के पराबैगनी किरण से बचाना होगा। भूमि के  जैविक विविधता को बचाते हुए खेती करनी होगी

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