सर्वश्रेष्ठ जैविक खेती क्या है।फुकुओका जैविक खेती कैसे की जाती हैं।

 सर्वश्रेष्ठ जैविक खेती क्या है।


सर्वश्रेष्ठ जैविक खेती क्या है।फुकुओका जैविक खेती कैसे की जाती हैं।
जैविक खेती












जैविक खेती में हरी खाद गोबर खाद ऐसे ही पत्तों के अवशेष से तैयार खाद का उपयोग भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु की जाती है, पूरी तरह से ऑर्गेनिक विधि से और कीटनाशक हेतु गोमूत्र पेड़ पौधे के पत्तों से कीटनाशक पदार्थ बनाकर छिड़काव की जाती है। जैविक खेती में बाहरी केमिकल रसायन कीटनाशक पदार्थ का उपयोग नहीं की जाती जो कंपनी कारखाना में बनी हो।

भारत में जैविक खेती के बढ़ते क्रम

भारत में जैविक खेती का प्रचलन दिन प्रतिदिन बढ़ते चले जा रहा है किसान जैविक खेती के लिए अपने कुछ भू भाग उपयोग में ले रहे हैं।
भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार जिला और क्षेत्रीय स्तर पर ग्राम सेवक कृषि सहायक के द्वारा अलग-अलग माध्यमों से किसानों को प्रशिक्षित कर रहा है।
जैविक खेती का सर्वश्रेष्ठ माध्यम प्राकृतिक खेती से की जा सकती है। प्राकृतिक खेती को हम इसे जंगली खेती या फुकुओका फार्मिंग कहां रहते हैं।
जंगली खेती फुकुओका फार्मिंग जैविक खेती का सर्वश्रेष्ठ विधि होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व के बहुत से देश इस खेती के माध्यम को अपना रहे हैं।

फुकुओका जैविक खेती कैसे की जाती हैं।


सर्वश्रेष्ठ जैविक खेती क्या है।फुकुओका जैविक खेती कैसे की जाती हैं।
जैविक खेती




















फुकुओका जैविक खेती भूमि को छेड़छाड़ किए बिना फसलों का उत्पादन लेना भूमि की जैविक संरचना भूमि के ही जैविक पदार्थ से विकसित करना और फसलों को प्राकृतिक विधि से जैसे जंगल में पेड़ पौधे विकसित होते हैं।
फुकुओका जैविक खेती में भूमि की जैविक कार्बन को बढ़ाने के लिए फसलों का अवशेष और खरपतवार को मंचिंग के रूप में उपयोग की जाती है, जो भूमि के जल का वाष्पीकरण को रोकता है। खरपतवार को नियंत्रित करता है, और भविष्य में खाद के रूप में परिवर्तित करके भूमि को उपजाऊ बना देता है।

फुकुओका जैविक फार्मिंग से क्या क्या लाभ है।

  1. फुकुओका जैविक खेती में फसलों को अवशेष के रूप में उपयोग करने से फसलों के कार्बन उत्सर्जन वायुमंडल में नहीं होता, सीधे भूमि में फसलों का जैविक कार्बन के रूप में परिवर्तित होकर स्थापित हो जाते हैं। जिससे वायुमंडल में वायु प्रदूषण नहीं होता है।
  2. भूमि में छेड़छाड़ ना करने की कारण भूमि की जैविक संरचना सुरक्षित रहती है, और जैविक कार्बन बढ़ते जाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जाती है।
  3. भूमि में ऑक्सीजन का संचार बढ़ने से पेड़ पौधे के जड़ में पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पाती है। जिससे फसलों का उत्पादन क्षमता बढ़ जाता है।
  4. भूमि में सूक्ष्म छिद्र बन जाने की वजह से जल निकासी सुगमता से हो जाती है।
  5. इस फार्मिंग से किसानों की लागत शून्य हो जाती है।

जैविक खेती में अन्य विधि में गोबर खाद का प्रयोग किया जाता है जो मीथन गैस का उत्सर्जन करता है जिससे वायुमंडल का तापक्रम बढ़ जाता है। यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है इसलिए फुकुओका जैविक खेती हर किसान को अपनानी चाहिए ताकि वायुमंडल को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।


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