खेती का पुराना तरीका कितना दमदार। एग्रोफोरेस्ट्री

How powerful is the old method of farming?  agroforestry





खेती का पुराना तरीका एग्रोफोरेस्ट्री का तात्पर्य खेत के चारों तरफ मेड में बड़े पेड़ वृक्षारोपण करना। आज विकसित देश में एग्रोफोरेस्ट्री का चलन बढ़ता जा रहा है, इस विधि में बड़े खेत में खेत के चारों ओर बड़े पेड़ों के वृक्षारोपण करते हैं। भारत में यह विधि पुरातन विधि है जिसे मेड में हम फलदार वृक्षों का रोपण कर देते हैं।

एग्रोफोरेस्ट्री कैसे की जा सकती है।

किसान अपने खेत के चारों और के मेड में 5 से 10 फीट चौड़ाई और मेड की लंबाई जितनी भी हो पूरे क्षेत्र में वृक्षारोपण कर सकता है। 
फलदार पेड़ और बहुमूल्य इमारती लकड़ी उपयोग में आने वाली पेड़ का वृक्षारोपण कर सकता है। 25 से 10 सालों में फल देने लग जाते हैं और इमारती लकड़ी हेतु उपयोग कर लाभ कमाया जा सकता है। एग्रोफोरेस्ट्री से किसान की आमदनी बढ़ जाती है।

एग्रोफोरेस्ट्री में भूमि और किसानों को क्या लाभ है।

  1. एग्रोफोरेस्ट्री से वायुमंडल के कार्बन डाइऑक्साइड का शोषण हो जाता है और ऑक्सीजन स्तर बढ़ जाता है जिससे वायुमंडल शुद्ध हो जाता है
  2. एग्रोफोरेस्ट्री से भूमि के जैविक कार्बन बढ़ जाते हैं जो भूमि को और उपजाऊ बढ़ा देते हैं।
  3. एग्रोफोरेस्ट्री से खेत में तेज हवा को रोका जा सकता है जो फसलों के लिए लाभदाई है।
  4. एग्रोफोरेस्ट्री प्राकृतिक ग्रीन हाउस का काम करती है।
  5. एग्रोफोरेस्ट्री से पशु पालन मुर्गी पालन के लिए हरा चारा मिलना  आसान हो जाता है।
  6. अलग-अलग प्रकार के फल का उत्पादन होने से किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिल जाती है।
भारत में सदियों से यह परंपरा रही है कि खेती के खाली मेड में फलदार पेड़ पौधे लगाए जाते हैं किंतु बढ़ती आधुनिकरण के दौर में छोटे क्षेत्रफल के खेत जिसमें आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल कठिन हो जाता है ऐसे बहुत से खेतों में बड़े पेड़ पौधे की कटाई कर दी गई है। जिससे खेत के आसपास का जलवायु परिवर्तन हो चुका है और भूमि में होने वाली आद्रता नमी कम हो चुकी है
खेत से लगे हुए खाली भूभाग में एग्रोफोरेस्ट्री करने पर फिर से खेत के आसपास का क्षेत्रफल में पुनः आद्रता और नमी को बनाया जा सकता है जो भूमि की जैविक संरचना को सुरक्षित रखती है।


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