जंगली खेती में जल संरक्षण का महत्व

 जंगली खेती में जल संरक्षण का महत्व


जंगली खेती में जल संरक्षण का महत्व





किसान अपने फसलों के उत्पादन को बनाए रखने के लिए बोरवेल ,नहरों, तालाब से पानी का उपयोग करता है। फसल के उत्पादन के लिए भूमि और जल का महत्व सर्वप्रथम है। बिना भूमि के फसल का उत्पादन नहीं हो सकता और जल के बगैर खेती नहीं की जा सकती। 

किसानों  अपनी भूमि में जल की उपलब्धता जांचने के बाद खेती के कार्य को प्राथमिकता से करता है। जल की उपलब्धता किसानों के पास होने पर किसान अंधाधुन जल का प्रयोग कर भूमिगत जल को दुरुपयोग कर देता है। जिसकी कारण भविष्य में जल संकट किसानों को होने लग जाती है।
पूरे विश्व के 1% जल का ही मनुष्य उपयोग कर सकता है ऐसे में हमारा प्रमुख दायित्व रहता है। कि जल को सुरक्षित तरीके से उपयोग में लाएं ऐसे नहीं करने पर भविष्य में जल संकट बढ़ते चले जाएगा और जल की कमी होने पर विश्व खाद्यान्न की समस्या जल प्रदूषण वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव सभ्यता पर पड़ सकती है।

जंगली खेती में जल संरक्षण का महत्व।


जंगली खेती में जल संरक्षण का महत्व उल्लेखनीय है। प्राकृतिक रूप से खेती किसानी करने पर किसानों को किसी भी प्रकार की जल दोहन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसी खेती वर्षा जल पर आश्रित रहती है। वर्षा जल को सुरक्षित रूप से वाष्पीकरण होने से बचाया जाता है।

जल को जंगली खेती में वाष्पीकरण से कैसे बचाएं।

  1. Food forest में खस घास का रोपण करके वर्षा जल को वाष्पीकरण होने से बचाया जा सकता है और भूमिगत जल का उपयोग किया जा सकता है खस घास वर्षा जल को वाष्पीकरण होने से बचाता है और भूमिगत जल को  सतह पर लाने का कार्य करता है।
  2. खेती करने के दौरान जितना हो सके गहरी जुताई को प्रतिबंधित कर देना चाहिए गहरी जुताई करने से जल वाष्पीकरण होकर उड़ जाता है जिसकी वजह से जमीन शुष्क हो जाती है इसलिए जंगली खेती सर्वश्रेष्ठ खेती है जिसमें गहरी जुताई  नहीं की जाती है।

जंगली  प्राकृतिक खेती करने से भूमि का जल स्तर औसतन सही बना रहता है और वाष्पीकरण की प्रक्रिया में कमी आने से जलस्तर सुधार निरंतर जारी रहता है साथ ही जल प्रदूषण नहीं हो पाता । जंगली खेती में रसायन और कीटनाशक का प्रयोग ना की जाने की कारण भूमिगत जल प्रदूषित नहीं होता है।

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