जंगली खेती किसानों के लिए लाभकारी। जुताई बीज खाद की खरीदें से मुक्ति।
जंगली खेती प्राकृतिक खेती में किसी भी प्रकार की खाद बीज की आवश्यकता नहीं होती है भूमि की जुताई किए बिना की जाने वाली खेती है। इसलिए किसानों के लिए यह अति लाभकारी सिद्ध हो रही है।
प्राकृतिक फसल के उत्पाद जहर मुक्त उत्पाद से स्वास्थ्य को लाभ
प्राकृतिक खेती के उत्पाद जहर मुक्त होने के कारण किसान को और भोजन करने वाले उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को भी उत्तम बनाया रखा हुआ है।
प्रकृति खेती में सीडबॉल विधि से बुवाई से जमीन की जुताई करने से बचत और महंगे बीज की खरीदी से बचत
जंगली खेती में बीज की बुवाई सीडबॉल विधि से की जाती है। जिसमें देसी बीज को एक बार मिट्टी के गोली बनाकर के खेत में छिड़काव कर दी जाती है।
ग्रीष्म कालीन महीनों में सीडबॉल बना के बीज की छिड़काव कर देने से खेत में प्रतिवर्ष पौधे अपने से उगने शुरू हो जाते हैं। जिसके कारण दोबारा बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है। और किसानों की बीज खरीदी से होने वाली बचत मिल जाती है।
प्राकृतिक खेती में फसलों की अवशेष की मंचिंग से पानी और खाद की बचत।
जंगली खेती में फसलों के अवशेष के से मंचिंग की जाती है। जिसस पानी की बचत और खाद की बचत हो जाती है। फसलों के अवशेष से मंचिग करने पर खरपतवार का नियंत्रण होता है।पानी वाष्पीकरण होने से बचता है। फसल के अवशेष खाद के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। जिसके कारण खाद खरीदी से बचत की जा सकती है।
किसान बड़े कंपनियों के खाद बीज रासायनिक की खरीदी में अपना जमा पूंजी को खर्च कर डालता है। किंतु जंगली खेती करने पर किसान को इन सारी खर्चों से बचत हो सकती है साथ ही साथ जहर मुक्त फसल के उत्पादन से किसानों के स्वास्थ्य उत्तम होते चले जाएंगे और खेत की उपजाऊ क्षमता बढ़ते चले जाएगी।
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