जंगली खेती के साथ देशी मुर्गी पालन कर दोहरा लाभ कमाएं।Earn double profit by rearing native poultry with wild farming.

 
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ग्रामीण भारत में किसान खेती किसानी के अलावा अतिरिक्त आमदनी के लिए मुर्गी पालन घर में करते हैं। मुर्गी पालन में किसानों को अतिरिक्त आमदनी और अंडे मांस के साथ- सांथ बिक्री करने पर अतिरिक्त लाभ मिल जाता है।

 जंगली खेती के साथ मुर्गी फार्मिंग करने से अनेकों अनगिनत फायदे किसानों को मिल सकते हैं। कुछ फसल ऐसे हैं। जिसे मुर्गी खाती नहीं है।  जैसे हल्दी। हल्दी एक औषधि गुण से युक्त फसल है। जिसे मुर्गी हानि नहीं पहुंचाते और हल्दी में खरपतवार रहने पर खरपतवार को अपना भोजन बना लेते हैं। इस तरह खरपतवार नष्ट होने के साथ-साथ हल्दी की खेती कर अच्छी आय अर्जित की जा सकती है।

फसलों को लगाने के साथ मुर्गीपालन  कैसे करें।

किसान फूड फॉरेस्ट में मुर्गी पालन कर के अतिरिक्त आय अर्जित कर सकता है। ग्रामीण भारत में किसान अपने भोजन व्यवस्था हेतु देसी मुर्गी पालन करते हैं। किसानों के खेत खलिहान में फसल होने पर हमें कुछ सावधानियां रखनी होती है जो निम्नांकित है

  1. साग सब्जी फार्मिंग में मुर्गी पालन करने से हमें नुकसान होगा इसलिए सब्जी फार्म में कभी भी मुर्गी पालन ना करें।
  2. फ़ूड फारेस्ट में मुर्गी फार्मिंग कर के अतिरिक्त आय कमाए जा सकती है 1 एकड़ से ज्यादा बढ़ा खेत होने पर दो से तीन स्थान में अलग-अलग मुर्गियों के रहने का व्यवस्था बना लिया जाए।
  3. आधा एकड़ में 5 से 10 देसी मुर्गी पाली जा सकती है।फूड फॉरेस्ट भी तैयार होते चले जाएगा।
  4. मुर्गी पालन और खेती साथ में करने से कीट पतंगों और खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है।
  5. जंगली खेती में खरपतवार को नियंत्रण करना आसान नहीं होता। इसलिए कुछ कुछ दूरी पर मुर्गी पालन शेड बनाने पर खेत में सही तरीके से खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है।
  6. देसी मुर्गी पालन प्राकृतिक विधि से ही करना है मुर्गी पालने के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न की व्यवस्था करने की जरूरत ना हो मुर्गी खेत से ही अपना भोजन कर सके इस विधि से खेती करने पर किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है।

जंगली खेती के साथ मुर्गी पालन करने से क्या-क्या लाभ है?

  1. फूड फॉरेस्ट में मुर्गी पालन करने से मुर्गी पालन से  अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है।
  2. कीट पतंगों के आक्रमण से फूड फॉरेस्ट को बचाया जा सकता है।
  3. मुर्गी पालन से खेत की खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं।
  4. मुर्गी खाद फसलों के लिए बहुमूल्य खाद है।

जंगली खेती में मुर्गी पालन में क्या सावधानी रखी है।


  1. खेती में देसी मुर्गी पालन करना हो तो सर्वाधिक सावधानी यह रखनी है ऐसी फसल को ना लगाएं जो मुर्गियां खाती है। फूड फॉरेस्ट में पेड़ 8 से 10 फीट हो जाने के बाद भी मुर्गी पालन शुरू करें।
  2. खरपतवार अनियंत्रित तरीके से बढ़कर जाने पर मुर्गी पालन करें। खरपतवार का समाधान होने के उपरांत मुर्गियों को फार्मिंग विधि से मुर्गी घर में रखते हुए करें।
  3. फूड फॉरेस्ट में मुर्गी पालन सीमित संख्या में ही करें।


ग्रामीण भारत में देसी मुर्गी पालन की यह विधि शुरू से ही प्रचलित है। इसलिए किसानों को देसी मुर्गी पालन में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती। फसलों को मुर्गियों को बचाने के लिए किसान विशेष ध्यान रखें। और मुर्गी फार्मिंग खेती के साथ करते रहे।

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Biju kumar : Kheti kisan food forest Agriculture  in india:- जंगली खेती किसान पाठशाला:--- बीजू कुमार



Biju kumar: Kheti kisan food forest farming Agriculture in india में उपरोक्त कुछ विशेष लेख के लिंक दिए गए हैं इन्हें जरूर पढ़ें


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