जैविक खेती में सीताफल Custard Apple का पेड़ कैसे लगाएं ?
छत्तीसगढ़ की जिला बालोद में डौंडी से लगे हुए ग्रामीण अंचलों में सीताफल, शरीफा sarifa प्राकृतिक रूप से वन क्षेत्र और ग्रामीण अंचल साथ ही साथ शहर दल्ली राजहरा में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। सीताफल ऐसे वनस्पति फल है। जिसे किसी भी तरह से लगाने की जरूरत नहीं है। अपने से उग आते हैं।
सीताफल जंगल में आसानी से कैसे उग जाता है।
छत्तीसगढ़ के जंगल में आज भी सीताफल, शरीफा के पेड़ भारी तादाद में पाए जाते हैं। दल्ली राजहरा से लगे हुए जंगली क्षेत्र में सीताफल के वन मिल जाते हैं। गांव के आसपास के क्षेत्र में भी पाए जाते हैं। जिससे ग्रामीण महिलाओं बच्चों का सीताफल के सीजन आने पर अच्छी खासी कमाई हो जाती है।
सीताफल के पत्ते विशेष प्रकार के गंध का स्राव करते हैं। जिसके कारण अन्य पशु पक्षी इनके पत्तों पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाते है। इनके बीज भी मजबूत रहता है। जो भूमि के कीट पक्षियों के द्वारा नुकसान नहीं पहुंचा पाते जिस वजह से बारिश आने पर आसानी से पौधे तैयार हो जाते हैं। छत्तीसगढ़ के पहाड़ी क्षेत्रों पथरीली भूमि में भी सीताफल के वन पाए जाते हैं।
जैविक खेती के सीताफल का बाजार मांग और बिक्री ।
जैविक खेती के सीताफल का बाजार मांग का दिन प्रतिदिन विस्तार होते जा रहा है। आज के समय में दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में 150 ₹200 किलोग्राम में मिलता है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी सीताफल के अच्छे रेट मिल जाते हैं। इसलिए ग्रामीण अंचल में सीताफल की तोड़ाई कर मंडियों में बाजार के व्यापारियों को कम दाम में बेच देते हैं। स्थानीय बाजार में दर्जन 15 से ₹20 में मिल जाता है। सीताफल शीघ्रता से पकाने वाले फल होने के कारण किसानों को औने पौने दाम पर बेचना पड़ता है।
फूड फॉरेस्ट जैविक खेती विधि से सीताफल की खेती कैसे करें
सीताफल की खेती भारत भर में की जा सकती है। भारतीय वातावरण शरीफा की खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है। आज के आधुनिक खेती में सीताफल की खेती को प्रमुखता से ली जा रही है। जंगली खेती फूड फॉरेस्ट विधि से और जैविक खेती विधि से सीताफल की खेती आसानी से और सरलता की जा सकती है। सीताफल की खेती के लिए बीज को नर्सरी में तैयार कर लिया जाना चाहिए। तैयार पौधे को मानसून के महीनों में आसान विधि से रोपण की जा सकता है।
सीताफल मध्यम ऊंचाई का पेड़ है। सीताफल में फूल आने के उपरांत 4 से 5 महीने में फल तैयार होता है। फल पकने के बाद तुरंत ही उपयोग करना होता है, अन्यथा फल खराब होने का डर रहता है। इसलिए सीताफल को अन्य शहरों में बेचना कठिन होता है।
सीताफल के पेड़ को प्राकृतिक fencing के तौर पर भी किसान खेत में लगाकर उपयोग कर सकता है। किसान के खेत के चारों कोनों में सीताफल के पेड़ लगाने से यह प्राकृतिक फेंसिंग का काम करता है। बाहरी जानवर को खेत में आने से रोकता है।
सीताफल के कौन कौन से प्रोडक्ट तैयार होते हैं।
सीताफल को कस्टर्ड एप्पल Custard Apple शरीफा भी कहा जाता है। सीताफल से कैंडी आइसक्रीम जेम जेली आदि बनाकर बेचा जाता है। सीताफल के आइसक्रीम जैम जेली बनाने से से इसके मूल्य में इजाफा हो जाता है। किसान सीताफल के फसल लगाने के साथ-साथ इन प्रोडक्ट को बनाकर बाजार में बेचे तो उसे अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है।
जैविक खेती के लिए सीताफल कैसे उपयुक्त है।
जैविक खेती के लिए सीताफल का पेड़ सर्वाधिक उपयुक्त पेड़ है।सीताफल के पेड़ लगाने से खेत में कीट पतंगों का आक्रमण कम हो जाता है। सीताफल के पत्ते तना जड़ में विशेष प्रकार का गंध पाया जाता है। जो कीट पतंगों से फसलो को नुकसान होने से रोकता है। सीताफल के पत्ते कीटनाशक बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसलिए जैविक खेती करने पर सीताफल के पेड़ अवश्य लगाना चाहिए।
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