कम बारिश में कौन सी फसल लेना चाहिए
कम बारिश में कौन सी फसल लेना चाहिए
पिछले कुछ वर्षों से बारिश की अनियमितता और वर्षा समय पर ना होने के कारण कुछ विशेष फसल में सही उत्पादन नहीं मिल पाता।
मुख्य रूप से किसान धान की खेती को प्राथमिकता के तौर पर लगाकर खेती करता है। किंतु बारिश की कमी की वजह से धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। और किसान को भारी हानि उठानी पड़ती है। ऐसे बदलते हुए समय के अनुसार किसान को खेती में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे।
किसान अपने भूमि का 85% भाग धान की खेती हेतु तैयार करता है। बाकी के 15% भाग में ही अन्य नगदी फसल लेता है। फसल की इस असमानता के कारण किसानों को भारी हानि उठानी पड़ती है।
कम बारिश होने पर किसान अपनी फसल का चुनाव कैसे करें। और कौन-कौन सी सावधानी रखें
भारत में दूसरे या तीसरे वर्ष अल्प वर्षा के कारण किसानों की फसल के उत्पादन प्रभावित हो जाते हैं। अल्प वर्षा में भी किसान खेती किसानी करते हुए सफल हो जाए । खेती संबंधित कुछ विशेष नियम का पालन करना होगा।
- फसल चक्र का पालन करते हुए किसानों को कुल क्षेत्र में अलग-अलग जल धारण क्षमता के अनुसार फसलों का चुनाव करना चाहिए।
- कुल भूभाग में 50% भाग धान की खेती हेतु अन्य 50% भाग नगदी फसल जैसे रहर मक्का मूंग दाल उड़द सूरजमुखी साग सब्जी की फसल लेनी चाहिए।
- बीज बुवाई के समय गहरी जुताई करने से भूमिगत जल का तीव्रता से वाष्पोत्सर्जन होता है। जीरो टिल फार्मिंग से खेती करने पर भूमि के जल का पूरा उपयोग किया जा सकता है।
- किसानों को वार्षिक फसल लेने के साथ-साथ अपने खेत में फूड फॉरेस्ट लगा कर अतिरिक्त आमदनी का प्रयास करना चाहिए।
- प्राकृतिक खेती परंपरागत खेती द्वारा भी कम वर्षा के स्थिति में अच्छी फसलों का उत्पादन लिया जा सकता है।
- 1 एकड़ से अधिक खेती किसानी का भूमि होने पर खेत में तालाब का निर्माण कर वर्षा जल का संग्रहण प्रमुखता से करनी चाहिए। तालाब का निर्माण से मछली पालन झींगा पालन से अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है।
- धान की खेती मानसून आधारित करने के अलावा ग्रीष्मकालीन धान की खेती किसानों को नहीं करनी चाहिए। जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए ग्रीष्मकालीन धान की फसल लेने पर भूमिगत जल के स्रोत कम होने की संभावना बढ़ जाती है। जो आने वाले कुछ वर्षों में खेती किसानी में हानि की संभावना बढ़ जाती है।
- छत्तीसगढ़ में धान की फसल की कटाई से पहले अन्य नगद फसल की बुवाई धान की खड़ी फसल पर कर दी जाती है यह छत्तीसगढ़ की परंपरागत नो टिल फार्मिंग है।
विश्व भर में जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के चलते ऋतु में अनियमितता रहती है। इन सब कारणों से फसल भी प्रभावित हो जाते हैं कम वर्षा सिंचाई सुविधा का ना होना इन सभी कारणों से किसानों को हानि उठानी पड़ती है। इसलिए आने वाले समय में फसल लगाने की विधि कम जल प्रबंधन आधारित होनी चाहिए।
कम वर्षा आधारित फसल लेने पर होने वाले लाभ
भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर रहती है। अल्प वर्षा पिछले कुछ वर्षों से भारत में हो रही है। इसलिए कम वर्षा आधारित फसल लेने से फसलों का उत्पादन में पूरा मिल पाएगा और किसानों की आमदनी सुनिश्चित रह पाएगी।
किसानों को अपने भूमि में स्थाई फूड फॉरेस्ट का निर्माण करना चाहिए। ऐसे करने पर किसानों को फलदार फसलों से भी अच्छी आमदनी मिल सकती है। फलदार वृक्ष अल्प वर्षा होने पर भी अच्छे फल देते हैं। इस तरह नित्य नए प्रयोग करते हुए किसानों को अपनी भूमि का समुचित उपयोग करना चाहिए।
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