अल्प वर्षा से धान की खेती को कैसे बचाएं विशेष जानकारी 2021। How to save paddy cultivation from scanty rainfall Special analysis 2021
अल्प वर्षा से धान की खेती को कैसे बचाएं विशेष जानकारी 2023
छत्तीसगढ़ में अल्प वर्षा के कारण धान की खेती में भारी नुकसान की आशंका बढ़ते चले जा रही है। छत्तीसगढ़ धान का कटोरा के नाम से प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ में धान की हजारों नस्ले पाई जाती है। छत्तीसगढ़ की धान पूरे भारत में चावल बना के निर्यात की जाती है। साथ ही साथ विदेशों में भी छत्तीसगढ़ की धान प्रसिद्ध है।
धान |
धान की खेती में पर्याप्त पानी होने पर ही अच्छा उत्पादन देता है। ऐसे किसानों का मानना है किसान धान की फसल हेतु गहरी जुताई कर धान की बुवाई करते हैं। जिसके कारण अल्प वर्षा होने पर धान की फसल का बढ़ोतरी रुक जाता है। और उत्पादन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है।
अल्प वर्षा में धान की फसल क्यों प्रभावित हो जाती है।
अल्प बारिश में धान की फसल निम्नांकित कारणों से फसल प्रभावित होकर किसानों को भारी हानि उठानी पड़ती है।
- धान की खेती को गहरी जुताई करने से अल्प वर्षा में धान की फसल प्रभावित हो जाती है।
- अल्प वर्षा में खरपतवार की मात्रा बढ़ जाने से धान की फसल प्रभावित हो जाती है।
- धान की फसल समय पर बुवाई ना होने अल्प वर्षा होने पर धान की फसल समय पर पर्याप्त ग्रोथ नहीं कर पाता और धान की फसल बर्बाद हो जाती है।
- हाइब्रिड नस्ल और संकर नस्ल की धान अल्प बारिश में प्रभावित हो जाते हैं।
- छिड़काव द्वारा धान की बुवाई करने से अल्प बारिश में धान की फसल समय पर ग्रोथ नहीं कर पाते।
अल्प वर्षा से धान की खेती प्रभावित ना हो किसके लिए क्या करें।
धान की खेती की तैयारी हर किसान भरपूर संभावनाओं के साथ शुरू करता है। किसान ग्रीष्मकालीन महीनों में मजदूरी करने के लिए बड़े शहरों में प्रवास करके आजीविका अर्जुन करता है। धान की खेती की शुरू होने के समय किसान खेती की तैयारी शुरू कर देता है। किंतु कुछ कृषि संबंधित ज्ञान का अभाव में किसानों से देखा देखी धान की तैयारियों में कुछ त्रुटियां कर देता है।
धान की खेती की तैयारी के समय कुछ निम्नांकित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
- धान की खेती की तैयारी के लिए गहरी जुताई पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देनी चाहिए। ट्रैक्टर द्वारा गहरी जुताई करने से भूमि के सूक्ष्म में रोम छिद्र नष्ट हो जाते हैं जो धान की फसल के जड़ को बढ़ने से बाधित कर देता है।
- गहरी जुताई से सूक्ष्म जैविक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं जो भूमि को निरंतर प्राकृतिक खनन करते रहते हैं।
- धान की बीजारोपण कतार विधि से करनी चाहिए जिससे खरपतवार की निदाई करने में सुविधा हो
- सीड ड्रिल नो टिल पद्धति से धान की खेती की शुरुआत किसानों को करनी चाहिए। जिससे डबल जुताई करने की जरूरत नहीं है।
- धान की खेती पूरी जैविक जीवाश्म फसलों के मंचिंग से करने पर अल्प वर्षा में भी अच्छी उत्पादन लिया जा सकता है।
- धान की खेती हेतु सीड ड्रिल या अन्य आवश्यक नई विधि का पालन ना कर पाए तो हल्की जुताई डेढ़ से 2 इंच की करनी चाहिए ऐसे करने पर अल्प वर्षा होने से भी फसलों से अच्छी उत्पादन की जा सकती है।
- भारतीय देसी धान के बीज का उपयोग करने से अल्प वर्षा में भी फसलों से अच्छी उत्पादन मिल जाती है
धान की खेती हेतु हल्की जुताई या सीडड्रिल विधि का उपयोग करने से अतिरिक्त लाभ क्या क्या है।
अल्प वर्षा होने पर धान की खेती हेतु हल्की जुताई सीड ड्रिल का प्रयोग करने से धान की उत्पादन होने की संभावना बढ़ जाएगी साथ ही साथ धान की खेती के उपरांत अन्य फसल लेने से अन्य फसल की उत्पादन क्षमता दुगनी बढ़ जाती है क्योंकि हल्की जुताई सीड ड्रिल का प्रयोग करने की वजह से भूमि की नमी शीत ऋतु काल में भी बनी रहती है
धान की खेती को अल्प वर्षा से बचाने के लिए निम्नलिखित तरीके आपकी सहायता कर सकते हैं:
1. बीजों का चयन: अल्प वर्षा के लिए सही बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण है। वर्षा के लिए प्रतिरोधी बीजों का चयन करें जो जल विपातों के प्रति संगहशील हों। इसके लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें।
2. सही रोपण अवधि: धान की खेती के लिए सही रोपण अवधि का चयन करना महत्वपूर्ण है। आपको ध्यान देना चाहिए कि रोपण अवधि वर्षा के समय की संभावित अवधि से पहले हो, ताकि जब बारिश हो, तो धान पूर्ण रूप से पक जाए।
3. समय पर पानी की व्यवस्था: अल्प वर्षा में, पानी की उपलब्धता में बदलाव हो सकता है, इसलिए समय पर पानी की व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है। सुरंगों, नहरों और तालाबों की संरचनाओं को सुनिश्चित करें ताकि पानी की संचयन और वितरण की सुविधा हो।
4. सही उर्वरक: धान को आवश्यक मात्रा में उर्वरक प्रदान करना आवश्यक है। इसके लिए एक कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें और खेती के अनुरूप उर्वरक का चयन करें।
5. बीमा: खेती के लिए उपलब्ध बीमा योजनाओं का उपयोग करें। यह आपको विपदात्मक परिस्थितियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा। अपने स्थानीय कृषि विभाग से इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
6. रोपण की साइकिल प्रबंधन: धान की खेती में सही समय पर रोपण की साइकिल का पालन करना आवश्यक है। आपको ध्यान देना चाहिए कि आप रोपण की साइकिल को सही समय पर बनाए रखें, ताकि प्रकृति की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए आप उचित समय पर धान काट सकें।
7. सूक्ष्म जल संचय: जल की सुरक्षा के लिए सूक्ष्म जल संचय तकनीकों का उपयोग करें। इसमें जल संचयकोषों, शामिल हो सकते हैं। यह आपको अतिरिक्त पानी की सुरक्षा और संचयन की सुविधा प्रदान करेगा।
इन तरीकों का पालन करके आप अल्प वर्षा से धान की खेती को संरक्षित कर सकते हैं। हालांकि, स्थानीय भूमि, मौसम, और खेती के विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अपने स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से भी सलाह लेना महत्वपूर्ण होगा।
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