केला की खेती कैसे करें ।kheti kisani me kela ki kheti kayse kare।how to grow banana in 2022

केला की खेती कैसे करें ।

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केला पौष्टिक और सरलता से अपने गृह वाटिका में लगाए जाने वाला फल है सिंचाई नालियों के किनारे , घर में पानी निकासी वाले स्थान पर लगाए जाते हैं। केला की खेती कैसे करें banana cultivation इससे संबंधित विशेष लेख किसान भाइयों के लिए तैयार की जा रही है।


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केला की उत्पत्ति

केला की उत्पत्ति स्थल मलाया या भारत माना जाता है। भारत में यह प्राचीन काल से ही उगाया जाता रहा है। आज भी केरल के जंगलों में केले की जंगली प्रजाति पाई जाती है। भारत के अलावा विश्व के अन्य देश मेक्सिको, पनामा, क्यूबा, ब्राजील आदि देश में भी उगाया जाता है भारत में इसे कुल उत्पादन 4607700 टन से ज्यादा है। भारत में अकेला महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आसाम, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में लगाया जाता है।
केला फल को सब्जी और फलों के रूप में भी खा जाता है। कच्चे केला चिप्स और चूर्ण तैयार की जाती है। इनमें  शक्ति देने के अधिक के गुण होते हैं। क्योंकि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा रहती है। इसके साथ ही विटामिन ए की मात्रा भरपूर पाई जाती है।

कच्चा केला के औषधि गुण

कच्चा केला तीखा, कसैला, शीतल, बलवर्धक, दस्त रोधक, वात और कफ कारक होता है।

पका केला के औषधि गुण

पका केला मीठा, शीतल, उत्तेजक, बलवर्धक, क्रांति वर्धक, अतिसार, श्वेत कुष्ठ, पथरी, पित्त रोग, ब्रोंकाइटिस, जलन की अनुभूति में उपयोगी होता है।

केला की खेती कैसे करें उपयोगी जानकारी। kheti kisani me kela ki kheti kayse kare upyoge jankarei

केले की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
Kheti kisani केला 12 से 15 महीने में फल देने वाला शाकीय पौधा है। पौधा 3.6 से 4.5 मीटर ऊंचा होता है। तना गुप्त, मोटा, गुदेदार ,सीधा होता है।  केला के तने का मध्य भाग से पुष्प निकलते हैं। इसी में केला का गुच्छा तैयार होता है। इसकी  जड़े ऊपरी रहती है। सामान्य रूप से एक बार लगाए गए पौधे से एक ही फल के गुच्छे तैयार मिलते हैं।
और मुख्य पौधे के जड़ से अन्य और भी केले के पौधे तैयार होकर निकलते हैं। इस तरह एक पौधे से दो से तीन फसल ले ली जाती है।
 इस तरह केले की खेती banana cultivation की जाती है केला की खेती से एक पौधे में 75 से डेढ़ सौ फल प्राप्त होते हैं। और प्रति हेक्टर ढाई सौ से 5 कुंटल फल प्राप्त हो जाते हैं।  केला को मुख्य फसल  शीत ऋतु में अक्टूबर से फरवरी में प्राप्त की जाती है।

Kheti kisani में केला की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

Kheti kisani में केला की खेती banana cultivation के लिए उष्ण जलवायु की आवश्यकता पड़ती है। गर्म और आद्र वातावरण में भरपूर उत्पादन देता है। तापमान 96से 115°F की आवश्यकता होती है। और न्यूनतम 40-60°F से कम नहीं होना चाहिए गर्मियों में मई और जून के महीनों में तेज गर्म हवाएं और दिसंबर जनवरी में शीतलहर से पौधे मर जाते हैं।


सम तापमान वाले देश में जहां पर वायु में पर्याप्त आद्रता रहती है। केले की खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है। नदी, झील, तालाब, जलाशय के आसपास के लिए अच्छे उत्पादन देते हैं। केले की खेती कैसे करें संबंधित सवाल में केले को गर्म और आद्रता वातावरण को प्रमुखता से किसानों को ध्यान में रखना है।

Kheti kisani में केले की खेती के लिए इस तरह की भूमि का चयन करना चाहिए

Kheti kisani में केले की खेती banana cultivation के लिए जल धारण करने वाले किंतु जल निकासी युक्त भूमि उपयुक्त होती है। भूमि में जीवाश्म की मात्रा भी अधिक होनी चाहिए ।भूमि में जल भरा रहने से केले के प्रकंद सड़ जाते हैं। चिकनी तथा भारी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती केले की जड़ भूमि से अधिक गहराई तक नहीं जाती इसलिए भूमि क उपजाऊ होना आवश्यक है।



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Kheti kisani में केले की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था क्या होनी चाहिए

Kheti kisani में केला की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था प्रमुखता से होना आवश्यक है। भूमि तथा वातावरण के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में प्रति सप्ताह और शरद ऋतु में 15 से 20 दिन के अंतर में सिंचाई करे । उथली जाड़े वाला पौधा होने के कारण सूख सहन नहीं कर पाता है।

Kheti kisani  में केला की खेती के लिए खाद

केला की जड़ उथली होने की वजह से भूमि की सतह उपजाऊ होना आवश्यक है भूमि की सतह उपजाऊ करने के लिए गोबर खाद का उपयोग की जा सकती है। साथ ही साथ जैविक खाद सूखे पत्ते  के अवशिष्ट केले के पत्ते के अवशिष्ट का उपयोग खेत में ही जैविक खाद बनाकर भूमि को उपजाऊ क्षमता बढ़ा सकते हैं। इस तरह के जैविक खाद बनाने से भूमि की नमी बनी रहती है और जैविक कार्बन की वृद्धि होने से केले की फसल का उत्पादन क्षमता बढ़ जाता है। 
केले के गड्ढे तैयार करने पर गोबर खाद 20 किलो की मात्रा में गड्ढे में मिला दी जाए। केले की खेती कैसे करें पूरी तरह से जैविक विधि का विवरण इस लेख में किसानों को मिल पाएगा। रासायनिक और कीटनाशक का प्रयोग हमारे कृषि भूमि की उपजाऊ क्षमता को कम करता है।

केले की खेत तैयार करने की विधि kela ki khet tiyar kare 

केला का पौधा केले के कंद से तैयार की जाती है। केला के पौधे बड़े होने पर कंद से अन्य छोटे-छोटे पौधा निकलते हैं। केला की खेती करने के लिए कंद वाले पौधे का उपयोग में लेनी चाहिए टिशू कल्चर केला मार्केट से खरीद के लगाया जा सकता है। किंतु जहां तक हो सके केले के फसल तैयार होने के उपरांत अन्य कंद से तैयार पौधे को निकाल कर  नई जगह रोपण कर खेती करनी चाहिए। 

केला का पौधारोपण

केला के ऊंची जाति का  पौधे 3 × 2 मीटर तथा बौनी जाति के लिए 2× 1 मीटर कतार और पौधे की दूरी रहनी चाहिए। पौधारोपण के लिए 50 * 50 * 50 सेंटीमीटर गड्ढा तैयार कर उसमें उपरोक्त मात्रा में खाद डाल देना चाहिए दीमक से बचाव के लिए नीम की खली प्रति गड्ढ 2 किलो डाली जा सकती है।

केला की फसल कब लगाना चाहिए ?


 पौधारोपण का उचित समय वर्षा ऋतु के आरंभ में तथा फरवरी और मार्च में होता है कंद भूमि में लगाने से पहले गोबर और चूने नीम पत्ती का घोल तैयार कर कंद को उस में डुबो देनी चाहिए। इस तरह केले की फसल लगानी चाहिए

केले के पौधे में मिट्टी चढ़ाना

पौधे में मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है क्योंकि इसकी जड़े अधिक गहरी नहीं होती कभी कभी कंद भूमि के बाहर आ जाते हैं। जिससे कि उसकी वृद्धि रुक जाती है।  अतः दो या तीन बार मिट्टी चलाना आवश्यक होता है।

अनावश्यक सकर निकालना

पौधे के समीप छोटी-छोटी कंद से लगी हुई शाखा निकल आती है। जिन्हें सकर कहते हैं यह पौधे की वृद्धि को रोक देता है। अतः इसे निकाल देनी चाहिए सकर निकालते समय यह ध्यान रखें कि मुख्य में कंद में चोट ना लगने पाए केले के पत्ते को भी समय-समय पर काटते रहना चाहिए। केले फल लगने के बाद जो नर फूलों का गुच्छा लगा रहता है उसे भी काट देनी चाहिए। केला तैयार होने के उपरांत केले के गुच्छे काट दी जाए और पौधे को ऐसे ही छोड़ देनी चाहिए जिस से कट हुए पौधे के
पोषण गुण अपने शिशु पौधे को उपलब्ध कराता रहता है। जिससे शिशु पौधा तेजी के साथ ग्रोथ करके फल देने को तैयार हो जाता है।

केले के खेत में सुरक्षा उपाय

फल लगे हुए पौधे को तेज हवा से बचाए रखना अत्यंत आवश्यक है। आरंभिक अवस्था में वायु अवरोध के रूप में उत्तर और पश्चिम दिशा की ओर बड़े पेड़ की दो कतार लगा देनी आवश्यक है। फलों के उद्यान में स्थाई वायु अवरोध वृक्ष लगाना अनिवार्य तो है ही पौधे की लकड़ी या खूंटे का सहारा देना आवश्यक हो जाता है । कभी-कभी फल भारी होने से पौधे गिरने की संभावना रहती है। केले की खेती कैसे करें उपरोक्त विवरण केले की फसल की सुरक्षा हेतु आवश्यक है।

पेड़ी की फसल

फल लगने के समय कंद से लगे हुए अनेक पौधे निकलते हैं। इनमें से एक स्वास्थ्य सकर को छोड़कर शेष कंद काट देने चाहिए या इसे निकाल कर अन्य जगह लगा दे। छोड़े हुए एक सकर आगे चलकर पौधा बन जाता है इसे पेड़ी की फसल कहते हैं। मुख्य फसल की तरह इसकी भी देखरेख की जाने से अच्छे स्वास्थ्य फल प्राप्त हो सकते हैं। इस तरह एक फसल से तीन फसल ली जा सकती है। एक मुख्य फसल और दो पेड़ी की फसल। कुछ किसान केले की सिर्फ एक ही फसल लेते हैं।

केले की फल तोड़ई और पकाने की प्रक्रिया।

पौधे में जब फल पूर्ण परिपथ हो जाती है इनमें रंग परिवर्तन दिखाई देने लगता है। तो पूरे गुच्छे को काट देनी चाहिए। फल पकाने की प्रक्रिया में कटे-फटे फल को निकालकर अलग कर देनी चाहिए इन्हें मंडी में या अच्छे व्यापारी को हम बाजार रेट में बेच सकते हैं। किसानों को कोशिश यह करना चाहिए पकाने की प्रक्रिया में कोई रासायनिक पदार्थ का प्रयोग ना करें क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इसलिए भारत में प्रचलित पद्धति का प्रयोग करते हुए फलों को पकाना चाहिए






नगदी फसल में केले की फसल प्रमुखता से ले और भरपूर लाभ कमाएं। nkdi fasal kela ki fasal se bharpur laab kamaye

भारत में पका केला मंदिर त्योहरों में महिलाओं के व्रत के समय अत्याधिक ही उपयोग में लाई जाती है। इसलिए केला का औसतन मूल्य किसानों के लिए लाभप्रद हो सकता है। नगदी फसल में केला प्रमुख रूप से किसान खेती किसानी करता है। और यह एक लोकप्रिय खेती है केला की खेती कैसे करें उपरोक्त संबंधित कृषि कार्य को प्राकृतिक तरीके से करने का उल्लेख विस्तार पूर्ण इस लेख में किसानों को मिल पाएगा।

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