अमरूद की खेती कैसे करें, जाम की खेती जैविक विधि से कैसे करें।how to cultivate guava

 अमरूद(Guava) की खेती कैसे करें। प्राकृतिक खेती, How to Cultivate Guava

अमरूद guava एक स्वादिष्ट फल है। हर किसान इसे आसानी से उगा सकता है। गृह उद्यान में यह पूरे भारत में आसानी से उगाए जाने वाला फल है। अमरूद या जाम guava  की उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय में अमेरिका को माना जाता है। दक्षिण एशिया श्रीलंका तथा बर्मा में भी उगाया जाता है। भारत में यह 17वीं शताब्दी में लाया गया है। किंतु भारतीय क्षेत्र की उत्पत्ति में जाम Guava का विवरण है। भारत में इसका अनुमानत: क्षेत्रफल 160000 हेक्टर हैं। इसका उत्पादन 270000 टन है। उत्तर प्रदेश, बिहार ,और मध्य प्रदेश प्रमुख उत्पादक प्रदेश है। अति शीतल स्थानों को छोड़कर सभी स्थानों में अमरूद के उगाये जाने की प्रबल संभावनाएं है। अमरूद Guava की जेली प्रसिद्धि सर्व व्याप्त है। अन्य पदार्थ में चॉकलेट जैम आदि तैयार की जाती है।

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अमरूद Guava के औषधीय गुण और फायदे। Medicinal properties and benefits of Guava Guava

अमरूद Guava खट्टा मीठा तथा सुगंधित, उत्तेजक, त्रिदोष नाशक, शीतल। भोजन के पश्चात लेने से पेट साफ करता है विटामिन सी से परिपूर्ण होता है। 212 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पर विटामिन सी अमरूद में पाई जाती है। Guava अमरूद के पत्ते अमरूद के पत्ते का दस्त विकार को दूर करता है। अमरूद की छाल  भी औषधि गुण हेतु उपयोग में ली जाती है

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अमरूद (Guava) पेड़ की विशेषता।Characteristic of Guava Tree

जाम अमरूद मध्यम आकार की 8 से 10 मीटर ऊंचे तथा 6 से 10 मीटर विस्तार वाले सदाबहार वृक्ष है। वृक्षों में कठोरता होती है ।तना चिकना और आकर्षित होता है। 3 से 4 वर्षों में फलने  आरंभ करता है। और 5 या 6 वर्षों में अनुमानता 500 से 600 तक और 8 से 10 वर्षों में 1000 से 2000 फल प्राप्त होता है। वर्ष में दो बार फलाते हैं। जिसमें से शीत तथा वर्षा ऋतु में फल प्राप्त होता है। मुख्य फसल अमरूद फल शीत ऋतु में प्राप्त होता है। और अमरूद का वृक्ष 30 से 40 वर्ष तक अच्छे फलन देते रहते हैं ।

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अमरूद Guava के पेड़ के लिए उपयुक्त जलवायु।Suitable climate for Guava  tree.

अमरूद Guava उष्णकटिबंधीय ,उपोष्ण  जलवायु में अच्छे फल लगते हैं। अतः यह सूखे के प्रति सहनशीलता है। और शीतल जलवायु में यह नहीं उगाया जा सकता है। वर्षा अधिकतम 100 सेंटीमीटर उपयुक्त होती है। ऐसे क्षेत्र में जहां पानी सिंचाई के लिए कम उपलब्ध हो पाती है। लगाया जा सकता है।

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अमरूद (Guava) के पेड़ के लिए उपयुक्त भूमि।Suitable land for Guava tree

जाम अमरुद Guava किसी भी भूमि में लगाया जा सकता है। किंतु चुनाव की दृष्टि से बुलई दोमट इनके  लिए अच्छी मानी जाती है। भूमि का पीएच मान 4.5 से 5.0 तक हो सकता है। इसमें क्षारीयता और अम्लीयता सहने की अधिक शक्ति है। भूमि जल निकासी होना आवश्यक है। किंतु अन्य फलों की अपेक्षा कम संवेदनशील है।

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जाम ,अमरूद Guava की सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था।Suitable arrangement for irrigation of Jam, Guava Guava

पौधरोपण करने के प्रथम दो वर्षों तक नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है ग्रीष्म ऋतु में 7 से 10 दिन और शीत ऋतु में 15 से 20 दिन के अंतर में सिंचाई करना आवश्यक होता है। तीसरे और चौथे वर्ष बाद शीत ऋतु में एक महीना के अंतर से और ग्रीष्म ऋतु में 15 दिन के अंतर से भूमि की जल धारण शक्ति के अनुरूप सिंचाई करें। इसके पश्चात अक्टूबर-नवंबर दिसंबर और जनवरी माह में सिंचाई करें। 4 या 10 वर्ष पश्चात सामान्य रूप से बिना सिंचाई के भी  फूलता फलता रहता है।

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अमरूद (Guava) के फसल के लिए खाद। अमरूद की जैविक खेती। प्राकृतिक खेती ।Manure for Guava crop.  Guava organic farming

अमरूद Guava की फसल के लिए तैयार करने के गोबर की खाद और अवशिष्ट पत्तों की खाद का मिश्रण 10 किलोग्राम प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष 20 किलोग्राम तीसरे साल 30 किलोग्राम चौथे साल 40 किलोग्राम और 5 वर्ष 50 किलोग्राम के अनुपात से वर्षा ऋतु के आरंभ में दें। खाद तने से दूर वृक्षों के फैलाने की परिधि में लेकर गुडाई सिंचाई कर  दे ।अमरूद की फसल पूरी तरह से ऑर्गेनिक कीटनाशक और रसायन पदार्थ का इस्तेमाल किए बिना की जाने से बाजार में भरपूर डिमांड मिल सकता है। और भूमि की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ते चले जाती है। प्रकृति खेती जंगली खेती में खरपतवार को भूमि में कटिंग करके या दबाकर सुला दे जाने से खरपतवार के अवशिष्ट खाद के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। जो पौधे को भरपूर मात्रा में उर्वरक प्रदान करते हैं। इस तरह अमरूद की जैविक के फसल तैयार की जा सकती है और जैविक खेती की जा सकती है

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अमरुद Guava के पौधे लगाने की विधि।Method of Planting Guava 

प्रवर्धन 

अमरुद Guava के पौधे बीज , गुट्टी विधि ,कलम, कलीकायन विधि द्वारा लगाई जा सकती है। बीज के द्वारा लगाए जाना सर्वश्रेष्ठ विधि है और गुटी विधि से भी सरलता से पौधे तैयार की जा सकते हैं।

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अमरूद के पौधारोपण। प्राकृतिक खेती विधि

नर्सरी में तैयार Guava अमरुद के पौधे को खेत में 6 मीटर के अंदर में लगाई जाती है। पौधे लगाने के लिए 1फिट के लंबाई चौड़ाई गहराई आकार में गड्ढे तैयार कर कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें इस गड्ढे में 30 किलो गोबर खाद के साथ गड्ढे से निकली मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाकर गड्ढे को भर ली जाए लगाए जाने वाले स्थान में पानी डालकर कीचड़ तैयार कर पौधारोपण कर दी जाए। इस विधि से भूमि में हवा का संपर्क नही मिल पाने से पौधा की रोपण की मृत्यु दर कम हो जाती है। और 70 पर्सेंट पौधे तैयार हो जाते हैं पौधा को उचित गहराई में लगाए ।पौधा लगाने का उपयुक्त समय जुलाई-अगस्त तथा फरवरी-मार्च होता है।

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अमरुद Guava के पौधे की देखभाल। Guava Plant Care

नए पौधे की विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है। शरद ऋतु में पाले से बचने हेतु विशेष ध्यान रखना जरूरी है। मुख्य शाखा के नीचे से निकलने वाली शाखा को काटते रहे ।मुख्य शाखा 1 मीटर तक किसी प्रकार की शाखा नहीं होनी चाहिए ।कटाई छटाई करने के साथ-साथ वृक्ष को 1मीटर तक का शाखा में अन्य शाखा  बढ़ते नहीं देनी चाहिए ।फल वृक्ष से फल तोड़ने के पश्चात हल्की चटई कर देनी चाहिए क्योंकि Guava अमरूद के वृक्ष में नवीन शाखाओं में ही फलन होती हैं। ऊपर की शाखा को विशेष रूप से हल्की चटाई करने चाहिए जिससे वृक्ष ऊंचाई ना हो सके।

आधुनिक अमरूद Guava की खेती की विशेषता।Characteristics of Modern Guava cultivation

आधुनिक Guava अमरूद की खेती में हमें बड़े आकार के फल लेने होते हैं जिसका बाजार में भारी डिमांड रहता है इस वजह से अत्याधिक फूल आने के बाद हल्का परिपक्व फल में अच्छे फलों को रख कर अतिरिक्त फलों को तोड़ ली जाती है जिसस अमरूद के पेड़ में फलों की मात्रा कम रहती है किंतु फल बड़े आकार में मिल पाते हैं इस तरह की खेती करने से स्वास्थ्य और बड़े आकार के फल किसानों को मिल पाता है।

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अमरूद Guava की फसल शीत ऋतु में ले

अमरूद के वृक्षों में मार्च-अप्रैल तथा जुलाई-अगस्त में फूल आते हैं जिसमें  वर्षा ऋतु और शरद ऋतु में फल प्राप्त होते हैं। वर्षा ऋतु के फल स्वादिष्ट नहीं होने और फल भी अच्छी नहीं मिलती है। शरद ऋतु का फल लेनी चाहिए शरद ऋतु में फल प्राप्त करने के लिए अप्रैल-मई में उद्यान की खरपतवार को निकाल के भूमि में ही सुला दें और पूरी तरह से भूमि खुला छोड़ दे सिंचाई ना करें ऐसे करने से मार्च-अप्रैल में लगे हुए फूल झड़ जाते हैं इस तरह के विशेष ध्यान रखने पर अमरूद का उत्पादन शीत ऋतु में भरपूर मात्रा में पाया जा सकता है।

मिश्रित फसल  लेकर अमरूद की खेती करें।Cultivate guava by taking mixed crop

अमरूद की बागवानी करने पर 4 से 6 साल लग सकते हैं। फल आने में देरी की वजह से अमरूद की खेती के साथ-साथ सब्जी की मिश्रित खेती कर अतिरिक्त आमदनी कमाई जा सकती है

अमरूद की फसल की तोड़ाई

अमरूद तोड़ने के पश्चात पकने की प्रक्रिया नहीं होती। अतः जब फल वृक्ष पर ही पकने लग जाए तोड़ लेनी चाहिए तोड़ने के साथ फलों में कुछ पत्तियां लगी रहे तो अच्छी है। फलों में पीलापन आना तथा सुगंध आना पकने का लक्षण है।

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अमरूद के पेड़ के संबंध में कुछ सवाल जवाब।Some questions and answers regarding the guava tree

  1. अमरूद का पेड़ कितने सालों में फल देता है:-अमरूद का पेड़ औसतन 3 से 4 वर्षों में फल देना आरंभ कर देता है
  2. अमरूद का पेड़ घर पर कैसे लगाएं भारतीय घरों में अमरूद किचन गार्डन घर में भी लगाया जाता है बीज द्वारा किचन गार्डन में अमरूद की पौधा रपण करना चाहिए
  3. अमरूद के लिए खाद अमरूद के लिए खाद गोबर खाद और पेड़ पौधे के पत्ते का अवशिष्ट को खाद बनाकर भी पेड़ में दी जा सकती है
  4. अमरूद के पेड़ कैसे लगाएं  बीज , कलम, गुट्टी विधि द्वारा पौधा तैयार की जा सकती है
  5. अमरूद कैसे पकता है अमरूद पेड़ में ही पक जाता है तो तोड़ने के उपरांत पकने की प्रक्रिया रुक जाती है।
  6. अमरूद के पेड़ की कटाई कब करें अमरूद की फसल तोड़ाई के तुरंत बाद कटाई छटाई कर देनी चाहिए

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किसानों के साथ-साथ देशभर के किसानों के उत्पाद को प्रयोग करने वाले आम भारतीयों को भी जहर मुक्त अनाज फल सब्जी से संबंधित विशेष जानकारी प्रदान करना ताकि आम भारतीयों को भी भारत के किसान के योगदान को प्रोत्साहन करने हेतु आगे आ सके और इस योगदान के साथ ही भारत की पर्यावरण संरक्षण जल संरक्षण वायु प्रदूषण को रोकने में सहयोग कर पाए

जय भारत जय किसान

Biju kumar: Kheti kisan food forest farming Agriculture in india :--जंगली खेती पाठशाला






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