पेड़ पौधे की नर्सरी लगाकर व्यापार कैसे करें। How to start a tree plant nursery business in 2021

 पेड़ पौधे की नर्सरी लगाकर व्यापार कैसे करें।How to start a tree plant nursery business in 2021

नर्सरी tree plant nursery जहां पर फल सब्जी और पुष्प के पौधे का उत्पादन तथा पालन पोषण की जाती है। पौधे का प्रवर्धन की जाती है। नर्सरी को रोपनी या पौधा प्रवर्धन गृह tree plant nursery कहा जाता है। सफल फल उत्पादन सब्जी उत्पादन तथा अलंकृत उद्यान उत्तम फल और सब्जी पौधे तथा पुष्प पौधे पर आधारित रहता है। नर्सरी में कई अलग-अलग प्रकार के पेड़ पौधे को नवजात अवस्था से ही पालन पोषण कर तैयार करनी होती है।

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नर्सरी या रोपनी


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नर्सरी tree plant nursery में सब्जी पौधे फल से फल पौधे और वनस्पति विधि (grafts) से फल पौधे तैयार की जाती है। फल और सब्जियों के बीज उत्पादन का कार्य भी नर्सरी में की जा सकती है।


पेड़ पौधे की नर्सरी की स्थापना।Establishment of tree plant nursery

नर्सरी tree plant nursery एक ऐसा स्थान है जिसके लिए आदर्श से जलवायु भूमि तथा सिंचाई व्यवस्था आवश्यक है। विक्रय व्यवस्था को छोड़कर फलोद्यान, सब्जी खेती तथा शोभा उद्यान के लिए जो बातें आवश्यक है। वही आवश्यकता नर्सरी के लिए भी होती है। नर्सरी का उद्देश्य आदर्श पौधा तैयार करना तथा आदर्श वातावरण भी आवश्यक है।

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पेड़ पौधे की नर्सरी स्थल का चुनाव।Tree plant nursery site selection

भूमि सर्वोत्तम किस्म की होनी चाहिए, दोमट जिसमें की जल निकासी पूर्णता संतोषजनक हो। नर्सरी tree plant nursery में मातृ वृक्ष होती है। इसलिए उसके लिए गहरी भूमि की आवश्यकता होती है। जलवायु उपयुक्त होनी चाहिए, सर्दी गर्मी अत्याधिक ना हो। सिंचाई के लिए वर्ष पर्याप्त  मात्रा में जल उपलब्ध होनी अनिवार्य है, क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में जल की अधिक आवश्यकता होती है।

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नर्सरी tree plant nursery में आवागमन के साधन भी महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ी  नर्सरी उत्तम है। वर्षा ऋतु में पौधे की बिक्री अधिक होती है। इसलिए सड़क कम से कम ऐसे अवश्य होगी,जिनमे वर्षा ऋतु में सरलता से वाहन आ जा सके।

नर्सरी tree plant nursery स्थल चयन करते समय पूर्णता खुली हुई स्थान अथवा आसपास वृक्ष ना होने से ग्रीष्म ऋतु में लू की समस्या अधिक रहती है। अतः सुरक्षित स्थान प्राप्त हो आसपास वृक्ष आदि हो। जिससे ग्रीष्म ऋतु में वहां का वातावरण सम रहे तो अच्छा है।

नर्सरी tree plant nursery के आसपास वृक्ष लगा कर  वातावरण सम बनाया जा सकता है। किंतु इसमें चार पांच वर्ष लग सकते हैं।

उपरोक्त बातों में सिंचाई हेतु जल की व्यवस्था प्रमुख रूप से नर्सरी हेतु आवश्यक है।


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पेड़ पौधे की नर्सरी का विन्यास नर्सरी के आवश्यक अंग एवं उनका कार्यक्षेत्र।

Tree plant nursery configuration Essential parts of nursery and their scope

निवास कार्यालय भंडार गृह पशु गृह आदि :-

 

निवास स्थान अपने सुविधानुसार बनाया जा सकता है। कार्यालय तथा भंडार  एक साथ बनाएं पशु के लिए अलग बनाया जाता है। भंडार गृह में औजार बीज खाद पैकेजिंग सामग्री आदि संग्रहीत की जाती है। कार्यालय मुख्य सड़क के समीप होनी चाहिए और इन में निम्न सूचना उपलब्ध रहनी चाहिए 

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    1.मातृ वृक्ष की वंशावली, किस्म, संख्या आदि का विवरण रजिस्टर
     2.पौधे की संख्या, किस्म, उम्र आदि का विवरण पत्रक
    3.पौधशाला का वार्षिक कार्यक्रम
    4.विक्रय हेतु उपलब्ध पौधे की सूची तथा उसकी मूल्य सूची

     

    2. नर्सरी के सड़क एवं रास्ते :- 

     

    नर्सरी tree plant nursery के प्रत्येक स्थल में पहुंचने के लिए रास्ते होनी चाहिए और यह रास्ते नर्सरी के मुख्य सड़क से जुड़ी होनी चाहिए सड़क एवं रास्ते आवश्यकतानुसार चौड़े बनाए जा सकते हैं। वर्षा ऋतु में यह रास्ते ठीक रहने चाहिए ,क्योंकि नर्सरी का प्रमुख कार्य वर्षा ऋतु में ही चलता है।

     3.मातृ वृक्ष (mother plants) :-.

     

      जिस वृक्षों को पौधा तैयार करने के लिए उपयोग की जाती है। उन्हें मातृ  वृक्ष कहते हैं इन वृक्षों से उपरोपण के लिए सांकुरडाली ली जाती है। कलिकायन के लिए  कली युक्त टहनी, तथा गुटी के लिए टहनी  प्राप्त होती है। मातृ वृक्ष उस नर्सरी की मौलिक एवं अमूल्य संपदा है। तैयार की हुई वृक्ष केे पौध की विश्वसनीयता इन पौधे के आधार पर तय की जाती है। इन वृक्षों की वंशावली तैयार की जाती है और वृक्ष की  खास देख रेख की जाती है। पौधेशाला में इन वृक्षों के आधार पर नर्सरी का भविष्य निर्भर करता है। इसलिए वृक्ष लगाने के लिए अनुसंधान केंद्र से वृक्ष के पौधे लेनी चाहिए जिससे उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध ना रहे।

    4. क्यारियाँ:-(Beds): 

    (A) पौधे की क्यारियांँ (plant bed)----- 

    जिन क्यारियों में कलम किए गए पौधे का प्रवर्तन पौधे तथा उपरोपण और  कलीकायन  किए जाने हेतु पौधे लगाए जाते हैं। उसे पौधे की क्यारियाँ कहा जाता है । ऐसे क्यारियोंं को खुलेेे स्थान में तथा धूप छांव वाले स्थान में पौधों की आवश्यकता अनुसार बनाना चाहिए इनमेंं आने जाने के  रास्ते होनी चाहिए और प्रत्येक क्यारियों सिंचाई नाली सेे जुड़ी हुुई हो फलों के अनुसार प्रत्येेेक फल के लिए अलग-अलग क्यारियाँ होनी चाहिए जैसेेे आम की क्यारी और अमरूद की क्यारी आदि इनका आकार 5 मीटर लंबा और 3 मीटर चौड़ा रखना उचित है ऐसे कार्यों में आधा मीटर रास्ता हो। जिससे आने जाने केेे लिए सरलता और सिंचाई मेंं भी सरलता हो।   बीज से पौधा तैयार की जाती है।

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    (B) बीज बोने की क्यारियां (seedling beds) :-- 

    इन  में बीज से पौधा तैयार की जाती है। सब्जियों के पौधे तैयार करने मेंं इनका विशेष उपयोग होता है। ऐसे क्यारियां धरातल से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची बनाई जाती है इनका आकार 2 मीटर लंबा और 1 मीटर चौड़ा रहता है। बीज बोनेेेेेेे ,सिंचाई करना, निदाई करना, तथा पौधे उखाड़ने में सरलता हो। हल्की सिंचाई प्रतिदिन आवश्यक होती है। इसलिए सिचाई साधन के समीप ही बनानी चाहिए फल, सब्जी तथा फूलों के बीज बोने केेेे लिए अलग-अलग क्यारियाँ बनाई जा सकती है।

    (C) बीज उत्पादन की क्यारियां(beds for seed production):

     पौधशाला में सब्जी तथा फूलों के बीज तैयार करने के लिए क्यारियाँ बनाई जाती है। इन क्यारियों देखरेख बीज उत्पादन के आधार पर की जाती है।

    5. गमला स्थल (pot house):--

     गमला घर ऐसे ही स्थान को कहते हैं। जहां पर गमले रखे जाते हैं। इन गमलों में अत्यंत ही महीन किस्म के बीजों से पौधे तैयार की जाती है। ऐसेे पौधे को गमले में लगााए जाते हैै। जो धूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है। आजकल के समय में बड़ी वृक्षों के पौधे को भी गमले मेंं लगाया जाता है। गमले की सिंचाई नियमित करना जरूरी है। जल साधन के  समीप गमला स्थल बनाना चाहिए वर्तमान समय में पॉलिथीन में पौधेेे तैयार की जाती है। जो एक स्थान से दूसरेेे स्थान ले जाने में सुविधाजनक होती है। कलम विधि भी गमले मेंं तैयार की जाती है ।

    6. नर्सरी कार्य स्थल (working shed) :- 

    नर्सरी tree plant nursery कार्यस्थल में कटिंग तैयार करना, गमला भरना, सब्जियों तथा फूलों के बीज निकालना आदि कार्य जाती है। यह  साल बार छायादार होनी चाहिए, पक्का फर्श होना आवश्यक है। आसपास वृक्ष लगा दी जाए जिससे वहां का वातावरण गर्मी में भी ठंड प्रदान करें।

    7. पैकिंग स्थल packing place:- 

    पैकेजिंग स्थल में  पौधे को पैकिंग कर बाहर भेजने हेतु व्यवस्था की जाती है। यह  संग्रह स्थान और मुख्य सड़क के समीप होनी चाहिए भूमि से पौधे उखाड़ कर इस तरह पैकिंग की जानी चाहिए कि आवागमन में मुरझाए ना। पौधे के साथ पर्याप्त मात्रा में मिट्टी  लगा होनी आवश्यक है। पत्ते की मात्रा को कम कर दी जाए जिससे उन्हें आवागमन में कम पानी की आवश्यकता हो।

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    8. सिंचाई व्यवस्था।    

    नर्सरी में सिंचाई व्यवस्था अति उत्तम रहनी चाहिए वर्ष भर  जल व्यवस्था रहे यह दो अनिवार्य आवश्यकता है। इनका समुचित वितरण भी महत्वपूर्ण रहती है। क्यारियों में मदर प्लांट में बीजा उत्पादन हेतु सिंचाई व्यवस्था उत्तम देनी चाहिए पानी निकासी की व्यवस्था सही होनी चाहिए जल रूकावट होने से पौधे की बढ़त रुक जाती है।

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    9 खाद के गड्ढे

    पशु गृह से प्राप्त गोबर नर्सरी के अवशिष्ट पत्ते आदि से जैविक खाद तैयार कर उपयोग में लानी चाहिए यह किनारे पर बनाई जानी चाहिए गोबर की उपलब्धता के अनुसार खाद तैयार करने की व्यवस्था होनी चाहिए

    नर्सरी tree plant nursery में वायु अवरोध वृक्षों का महत्व फल उद्यान सब्जी खेती से अधिक देख रेख  आवश्यक रहती है। क्योंकि गर्मी में लू और सर्दी में पाले की समस्या ना होने पाए

    2  खेत वालों को कैसे नर्सरी तैयार करनी चाहिए ताकि अपनी खेत की वृक्षारोपण कर सके।How farmers should prepare nursery so that they can plant their fields

     खेती किसानी में मध्यम और बड़े किसानों को अपनी खेत में वृक्षारोपण करने हेतु खुद की नर्सरी tree plant nursery तैयार करनी चाहिए क्योंकि बाजार के नर्सरी से पेड़ पौधे की पौधे खरीदने पर लाखों रुपया लग सकते हैं। इसलिए मध्यम और बड़े किसान हमेशा अपनी नर्सरी खुद तैयार कर खेत में  रोपाई कर दें जिससे पेड़ पौधे की खरीदी में लगने वाली लागत भी कम हो जाएगी और अपने जरूरत आवश्यकताओं के अनुसार खेती कर सकेंगे औसतन एक किसान को 5 से 10 वर्ष तक नर्सरी लगानी चाहिए ताकि वह अपनी खेत की आवश्यकता अनुसार पूरे पेड़ पौधे सही मात्रा में लगा सके इस तरह बागवानी क्षेत्र में किसानों को आने पर अतिरिक्त आमदनी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

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