जलवायु का उद्यान फसलों पर प्रभाव climate impact on garden

 जलवायु का उद्यान फसलों पर प्रभाव

वायुमंडलीय वातावरण जलवायु प्रत्येक जीव जगत और वनस्पति जगत का पालनहार है। इसी से पेड़ पौधे ,उद्यान के आंतरिक और बाहरी जीवन चक्र प्रभावित होता है और उनका विकास वातावरण जलवायु के अनुकूल या प्रतिकूल होने पर निर्भर करता है।

खस घास के द्वारा नदी के दूषित (click here)जल का प्रदूषण दूर करना


अनुकूल वातावरण जलवायु होने पर पेड़ पौधे ,उद्यान का जीवन चक्र सुचारू रूप से संचालित रहता है किंतु प्रतिकूल वातावरण जलवायु में पेड़ पौधे ,उद्यान का जीवन चक्र प्रभावित होकर सुस्त अवस्था में भी चले जाते हैं इस वजह से वायुमंडलीय वातावरण जलवायु पेड़-पौधे ,उद्यान जीव जंतु का पालनहार पोषण आहार कहा जा सकता है।

जलवायु का उद्यान फसलों पर प्रभाव


 प्राकृतिक वातावरण जलवायु के अनुरूप पेड़ पौधे ,उद्यान ,मानव का विकास होता है इसलिए जलवायु के अंतर्गत प्राकृतिक वातावरण को महत्व दी गई है। कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है

जलवायु का पेड़ पौधे फसल पर पड़ने वाले प्रभाव।

  1. तापमान:- वायुमंडलीय तापमान का पेड़़ पौधे सर्वाधिक असर पड़ता है तापमान के परिवर्तन होने से वायु की आद्रता, वायुु की गति ,ओला ,पाला, कोहरा तथा वर्षा निर्भर रहती है तापमान पेड़ पौधेेे के आंतरिक और बाहरी संरचना को प्रभावित करते है तापमान से प्रकाश संश्लेषण वाष्पीकरण पेड़ पौधेे की श्वास लेने की प्रक्रिया और enzymatic metabolic क्रियाएं संचालित होती है दुनिया की जलवायुु में बड़े बदलाव तापमान की वजह से हो सकती है।

  1. आद्रता:- वायु में उपस्थित नमी की मात्रा को आद्रता कहा जाता है। इसे सापेक्ष संबंधित प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती है। तापमान के अधिक होने तथा वर्षा ना होने से आद्रता कम हो जाती है। आद्रता पौधे के जीवन को कई रूप से प्रवाहित करते हैं। वायुमंडल की आद्रता कम हो जाने से पेड़ पौधे में वाष्प उत्सर्जन की क्रिया अधिक हो जाती है। परिणाम स्वरूप उसके अधिक जल वाष्प बनकर उड़ते हैं। आद्रता की कमी से फल वृक्षों के फूलने और फलने में अनेेक समस्या जाती। जैसे फूल झड़़ना फल झड़ना फल फट जाना तथा जल्दी ही सूख जाना है। इसी तरह अत्याधिक आद्रता रहनेे से कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ जाताा है। अधिक आद्रता में बीमारियां तेजी सेे फैलती है। उचित आद्रता सामान्य फूलने फलने तथा वृद्धि केेेे लिए आवश्यक है ।

  1. सूर्य प्रकाश:- सूर्य मूल शक्ति का स्रोत है। तथा पेड़ पौधे को सूर्य से ही शक्ति प्राप्त होती है। सूर्य की ऊर्जा को पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपने में संचय करते हैं। परिणाम स्वरूप पौधे में खाद्य  पदार्थ का संचय होता है। जो श्वसन क्रिया द्वारा शक्ति प्रदान कर पौधे के जीवन उपयोगी कार्य को शक्ति देते हैं। फलों का पकना उनमें रंगो आदि का विकास सूर्य प्रकाश पर ही निर्भर करता है। ऐसे वृक्ष  जहां सूर्य की प्रकाश नहीं पहुंच पाते फूलने और फलने की प्रक्रिया बाधित होती है।

  1. वर्षा:- जल का प्रमुख स्रोत है। उचित वर्षा के अभाव में भारतीय कृषि की सफलता संदिग्ध हो जाती है। उचित समय पर और उचित मात्रा में बारिश होने पर पेड़ पौधे का विकास समय पर सही क्रम पर हो पाता है। पृथ्वी के गर्भ में जल का संचय बारिश पर ही निर्भर करता है। वर्षा की प्रकृति फल उत्पादन और सब्जी उत्पादन को निर्धारित करती है। मौसम परिवर्तन का मानव जीवन पर और उद्यान केेे विकास में प्रभाव डाला हुआ है

जलवायु का प्रभाव पेड़ पौधे उद्यानों और जीव जंतु पर पड़ता है। सर्वोत्तम जलवायु प्राकृतिक वातावरण हर क्षेत्र में निर्मित रहती है भारतीय प्राकृतिक वातावरण के अंतर्गत भारत के पेड़-पौधे जीव जंतु निरंतर क्रम में विकास करते हैं।

जलवायु का उद्यान फसलों पर प्रभाव


इस तरह जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जीव-जंतु पेड़-पौधे उद्यान और मानव सभ्यता को प्रभावित करती है अपने सृष्टि को संरक्षित कर सुरक्षित कर इस जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को जीव जंतु पेड़ पौधे उद्यान मानव के हित में निरंतर रहने का प्रयास करते रहना होगा।

link Mein click 🆑 🆑 🆑 Karen लेख पसंद आने पर इससे संबंधित अपने विचार इस व्हाट्सएप ग्रुप 🆑पर देने की कृपा करें और लाइक शेयर जरूर करें 

फेसबुक ग्रुप जंगली खेती में और पढ़ें यहां क्लिक करें

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट