चरोटा भाजी के बीज से निर्यातकों को करोड़ों की कमाई ।Earning crores of exporters from charota Bhaji seeds.

 चरोटा भाजी के बीज से

 निर्यातकों को करोड़ों की

 कमाई ।

Earning crores of

 exporters from

 charota Bhaji seeds.





छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध सब्जी में चरोटा की सब्जी प्रसिद्ध है। चरोटा की सब्जी sabji podha छत्तीसगढ़ में उगाई नहीं जाती यह कहीं भी अपने से आने वाली सब्जी है खेत के मेड़ हो या जंगल का किनारा और  रोड किनारे भी यह सब्जी अपने आती है।





छत्तीसगढ़ chattisghar में तरह तरह की सब्जी की उपज अपने से होती है। बहुत सारे सब्जी का उपयोग की जाने की वजह से छत्तीसगढ़ के सब्जी बाजार Vegetable Market में हर मौसम में सब्जियां saag उपलब्ध रहती है।
चरोटा भाजी के पत्ते सहजन के पत्ते की तरह रहते हैं और इनके स्वाद सूखी सब्जी bhaji recipe बना कर ली जाती है औषधीय गुणों से भरपूर चरोटा भाजी saag के बीज आज चाइना मलेशिया ताइवान तक में इसका निर्यात की जाती है।वानस्पतिक नाम केसिया टोरा (cassia tora) इसे (चक्र मर्द )भी कहा जाता है।पवाड भी कहा जाता है।

चरोटा भाजी के लगने का

 समय।

Time to look at charota Bhaji




मानसून आने के साथ ही चरोटा भाजी charota bhaji की फसल खेत खार जंगल के किनारे मैदानी इलाकों में सड़क किनारे अपने से उगने लग जाते हैं charota Bhaji के बीच कठोर आवरण से बने होते हैं। इस वजह से भूमि में बिखरने के बावजूद भी नष्ट नहीं होते हैं। इनका तीखा  स्वाद होने की वजह से किसी प्रकार के भी संक्रमण नहीं होता और बीज पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं मौसम आने के उपरांत अपने से उगना आरंभ कर देते हैं।
चरोटा भाजी cassia tora उगने के उगने के उपरांत तेजी से अपना ग्रोथ करते हैं। इस वजह से 1 महीने उपरांत इस की कोमल पत्ती का उपयोग सब्जी के रूप में की जा सकती है और तीन से चार महीने उपरांत बीज का संग्रहण कर सुखा ली जाती है।

चरोटा भाजी के बीच संग्रहण और सुखने की प्रक्रिया। Storage and Drying Process between Charota Bhaji

चरोटा भाजी के बीज seeds परिपक्व  होने के उपरांत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं बच्चे समूह में पूरे के पूरे चरोटा भाजी charota podha   के पौधे को को जड समूल उखाड़ के संग्रहित करते हैं पूरी तरह से निशुल्क भाजी होने की वजह से किसी भी क्षेत्र में जाकर अपने संग्रहण का काम को बहुत तेजी के साथ करते हैं।
चरोटा भाजी के बीज संग्रहण  seeds collection उपरांत सुखाने की प्रक्रिया में ग्रामीण क्षेत्रों के मेन रोड में चरोटा भाजी के पौधे को बिछा दी जाती है। रोड होने की वजह से यातायात का निरंतर आगमन होते रहने से गाड़ी चलते रहने के उपरांत चरोटा भाजी के बीज की पूरी मिंजाई हो जाती है।
चरोटा भाजी के बीज मिंजाई की प्रक्रिया पूरी तरह से निशुल्क ग्रामीणों को उपलब्ध हो जाती है।
इस तरह खुले मैदान क्षेत्र के अपने से उगे बीज का संग्रहण कर बाजार में बेचने हेतु तैयार कर लेते हैं।

चरोटा के बीज को बाजार में बेचने की प्रक्रिया कैसी होती है। How is the process of selling the seeds of Charota in the market.

 चरोटा के बीज पूरी तरह से सुख के तैयार होने के बाद ग्रामीण महिलाएं अपने अपने क्षेत्र के सप्ताहिक बाजार में विभिन्न प्रकार की वस्तुएं खरीदने हेतु आती है। साप्ताहिक बाजार में खरीदी के दौरान विभिन्न प्रकार की वस्तुएं जिन्हें बेच के पैसा कमाया जा सकता है उन वस्तुओं को बाजार में गल्ला व्यापारी खरीदने हेतु अपने दुकान लगाए रहते हैं। उन्हें अपने चरोटा बीज को बेच के पैसा ले ली जाती है और अपने घरेलू जरूरत की वस्तुएं खरीद के कुछ लोगों से मेल मिलाप करते हुए अपने घर वापस चले जाती है।


चरोटा के बीज देशी बाजार से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक का सफर। Traveling from the indigenous market to the international market of Charota

प्राकृतिक खेती के उत्पाद चरोटा के बीज आज बस्तर के आंचल रायपुर संभाग बिलासपुर संभाग से ढाई हजार टन और छत्तीसगढ़ के बाकी जिले ,उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार, गुजरात से चरोटा के बीज के व्यापारियों द्वारा संग्रहित कर निर्यात की जाती है ।आज के समय में चरोटा के बीच 5000 टन का देश भर में निर्यात की जाती है चाइना मलेशिया ताइवान इसका  प्रमुख आयातक देश है।




चरोटा के  बीज का मुख्य रूप से कॉफी पाउडर में मिक्स करने हेतु उपयोग में ली जाती है। और आज के समय में कोरोना संक्रमण की वजह से इसके बीज का उपयोग यूनिटी पावर बढ़ाने हेतु उपयोग में ली जा रही है। बहुत सारे दवाइयों में charota का बीज उपयोग में ली जाती है। इस वजह से इसका बड़ी मात्रा में निर्यात की जा रही है और भविष्य में निर्यात की संभावना बढ़ते ही चली जाएगी। निर्यातकों को अच्छा खासा करोड़ों रुपए की आमदनी इसके बीज को बेचने से प्राप्त हो रही है।

प्राकृतिक खेती में किस तरह चरोटा की

 खेती करे। इसकी कौन-कौन सी लाभ

 की संभावना हो  सकती है।

 How to cultivate Charota in

 natural farming.  What are the

 benefits of this?




  1. देशभर के हर राज्य में आसानी से उगाने वाली चरोटा के पौधे प्राकृतिक खेती में सफलता के साथ रोपण की जा सकती है।
  2. किसी किसी खेत में खरपतवार की समस्या विकराल रूप ले लेती है इसके निदान हेतु चरोटा charota seeds की बीज का रोपण करने से अन्य खरपतवार का नाश हो जाता है।
  3. चरोटा के फसल लगाकर हरित खाद के रूप में भी उपयोग में ली जा सकती है चरोटा के खाद  भूमि के फंगल इंफेक्शन को भी दूर कर सकता है।
  4. भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा कम होने पर charota के फसल लगाकर nitrogen-fixing का काम की जा सकती है।
  5. बीज का मूल्य प्रति किलो ₹15 से ₹40 तक जाने की संभावना रहती है इस वजह से यह एक लाभदायक खेती सिद्ध हो सकती है।
  6. आज के समय में चरोटा के भाजी bhaji बाजार में बिकने हेतु भी उपलब्ध हो रही है। अतः यह सब्जी की खेती हेतु भी सफलता के साथ की जा सकती है।
  7. बीच के अलावा सूखे पत्तों का भी पैकेजिंग कर इसे बाजार में बेचा जा सकता है। यह भाजी bhaji खाने में स्वादिष्ट और सुरक्षित होने की वजह से हर किसी को साल में एक बार उपयोग में लेनी चाहिए।
औषधीय गुणों से भरपूर charota के पौधे का खेती कर अच्छी खासी आय कमाई जा सकती है। भूमि सुधार अन्य उपयोग हेतु भी सफलता के साथ इसका उपयोग में की जा सकती है।
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Kheti kisani food forest farming in india :-- जंगली खेती किसान पाठशाला

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