देसी गाय की Dairy farming संग जंगली खेती wild farming कैसे करें

देसी गाय की Dairy farming संग जंगली खेती wild farming  कैसे करें

पशुपालन में भारतीय देसी गाय पालन dairy farming in india  परंपरागत रूप से पूरे भारत देश में की जाती है भारतीय गाय पालन परंपरा पूरी तरह से घरेलू संस्कारी तरीके से पाली जाती है भारत में गाय cow घर को  सदस्य की तरह पालन पोषण की जाती है और घर में गौ माता की रूप में गाय cow की पूजा की जाती है


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भारत में दूध क्रांति के साथ विदेशी नस्ल के गाय पालन dairy farming  in india को बढ़ावा दिया गया जिस वजह से हमारी देश की नस्लें लुप्त होते चले जा रही है विदेशी नस्ल की गाय भारतीय वातावरण में पूरी तरह से ढल ना पाने की वजह से उन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है जिस वजह से उन्हें मासिक रूप से इलाज करते हुए दूध उत्पादन लेना जरूरी होता है इस तरह से पशु पालन dairy farming करने से दूध में गाय cow के लगाने वाली दवाइयों के अंश आ जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं।

देसी नस्ल की भारतीय गाय indian cow की रोग प्रतिरोधक क्षमता immunity power अधिक रहती है जिस वजह से भारतीय नस्ल की गाय cow बीमार नहीं पड़ती और उनके दूध सुपाच्य स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर रहते हैं जो भोजन के माध्यम से हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता immunityको बढ़ा देते हैं और हमें हष्ट पुष्ट स्वास्थ्य लाभ देसी cow गाय के दूध से मिल पाता है।

देसी गाय पालन में दी जाने वाली पशु आहार


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  1. भारतीय विधि में चारागाह चराते हुए पशुपालन dairy farming  in india की जाती है पहले के समय में हर गांव में चारागाह हुआ करता था जिसमें गांव की गाय cow को चरवाहे के माध्यम से चरवाते हुए ।इस तरह गायों का आहार उपलब्ध कराई जाती थी।
  2. खेत की फसल कटने के उपरांत गायों को आहार हेतु खेत में खुला छोड़ के चरवाया जाता था।
  3. अनाज के कुटाई पिसाई के उपरांत बचे हुए अवशेष पदार्थ को गायों के आहार हेतु उपलब्ध कराई जाती है
  4. सरसों खली, बिनौला खली की एक भाग, गेहूं के चौका चावल की टुकड़ी के 2 भाग और दलहनी अनाज के 2 भाग मिला के पशुओं को प्रति पशु एक से डेढ़ kg अनाज पशु के वजन के अनुसार और per kg दूध उत्पादन  Milk production in india के पीछे आधा किलो मिश्रित अनाज दी जाती है साथ ही स्वाद अनुसार नमक मिलाकर गायों को खिलाई जाती है।
  5. खेत खलिहान के खरपतवार को काट के गायों को खिलाई जाती है
  6. ठंड के महीनों में सरसों तेल और गुड़ का मिश्रण कर पशुओं को दी जाती है।
  7. गेहूं की भूसी धान का पैरा आवश्यकतानुसार गाय अपना आहार ग्रहण कर लेते हैं

यह विधि हमारे गाय पालन dairy farming in india में सदियों से चली आ रही है पुराने समय में हरे-भरे चारागाह और शुद्ध जहर मुक्त अनाज हुआ करते थे इस वजह से देसी गाय का दूध उत्पादन Milk production in india  विश्व में सबसे ज्यादा भारत में हुई करता था और दही शुद्ध देसी घी भारत की एक पहचान है।


देसी गाय पालन में आज के दौर पर पिछड़े होने के कारण

  1. आज के दौर में चारागाह पूरी तरह से सिमट चुका है जिस वजह से पशुपालन कम होते चली गई
  2. अनाज के अवशेष मिलावटी हो चुके हैं साथ ही साथ महंगे और गुणवत्ता ही हो चुकी है
  3. सरकार द्वारा विदेशी नस्ल की गाय का प्रचार प्रसार कर भारतीय नस्ल की गाय को विलुप्त कर चुके हैं।
  4. भारतीय गाय की दूध की गुणवत्ता को ना समझ पाना
  5. देसी गाय का दूध का सही मूल्य ना मिल पाना
  6. देसी गाय पालन dairy farming in india में नए प्रयोग ना करना जिस तरह से विदेशी नस्ल की गाय पर की जाती है

देसी गाय पालन (dairy farming in india )में देसी गाय के दूध उत्पादन क्षमता कितनी रहती है


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भारत में अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग देसी गाय की नस्ल रहती है और सभी नस्लों की दूध उत्पादन   Milk production क्षमता अलग-अलग होती है देसी गाय की भोजन ग्रहण करने की क्षमता के अनुसार ही गाय का दूध उत्पादन   Milk production   होता है भारत की बड़ी नस्ल की देसी गाय कि भोजन ग्रहण करने की क्षमता अत्याधिक रहती है उनकी दूध उत्पादन Milk production क्षमता  8 लीटर से लेकर 15 लीटर तक रहता है और कुछ देसी नस्ल की गाय जिनकी भोजन ग्रहण क्षमता कम रहती है उनके दूध उत्पादन Milk production 2 लीटर से लेकर 5 लीटर तक रहती है

भारतीय देसी गाय की दूध की गुणवत्ता विदेशी नस्ल की गाय की दूध की गुणवत्ता से कहीं बढ़कर रहती है देसी गाय का दूध संपूर्ण पोषण तत्वों से भरपूर रहता है जो हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। साथ ही देसी गाय के गोबर की खाद में असंख्य सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं जो हमारे खेती किसानी में खेत को उपजाऊ क्षमता  को बढ़ाते हैं।

विदेशी नस्ल की गाय से तुलनात्मक रूप से देसी नस्ल की गाय से लाभ अधिक अर्जित की जा सकती है।


  1. देसी नस्ल की गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने की वजह से बीमार कम पड़ती है जिस वजह से बीमारी में खर्चे ना के बराबर रहते हैं जबकि विदेशी नस्ल की गाय अत्याधिक बीमार पड़ती है उस वजह से उनके लागत बढ़ जाते हैं
  2. देसी नस्ल की गाय पालन (dairy farming in india) पोषण में उनके भोजन में कम लागत लगती है जबकि विदेशी नस्ल की गाय के पालन पोषण में लागत ज्यादा लगानी पड़ती है
  3. देसी नस्ल की गाय की दूध की गुणवत्ता पूरी तरह से शुद्ध रहती है जबकि विदेशी नस्लें की गाय के दूध में दवाइयों के अंश मिले रहते हैं जो हमें अस्वस्थ कर सकते हैं
  4. देसी गाय की रखरखाव करके बहुत कम रहते हैं जबकि विदेशी नस्ल की गाय की रखरखाव के लिए अत्यधिक रकम खर्चा करने पड़ते हैं।
  5. देसी नस्ल की गाय हमारे वातावरण में पूर्ण रुप से ढले हुए रहते हैं जिस वजह से किसी प्रकार की कोई समस्या पशुपालकों( dairy farmar ) को नहीं होती है जबकि विदेशी नस्ल की गाय हमारे वातावरण के अनुकूल नहीं रह पाते जिस वजह से पशुपालकों(dairy farmar)  को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

देसी गाय पालन के द्वारा हम अच्छी मुद्रा अर्जित कर सकते हैं अतः हमें अत्यधिक मात्रा में देशी गाय को ही तैयार कर उन्हें पालन पोषण कर आगे लेकर आना होगा।

जंगली कृषि wild farming नेचुरल फार्मिंग संग देसी गाय पालन कैसे करें


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Jungali Krishi natural फार्मिंग में देसी गाय पालन की शुरुआत आसानी से की जा सकती है जंगली खेती wild farming में हरे चारे को पशु पालन हेतु प्राथमिकता के साथ बुवाई शुरू करना या हमारे खेत के खरपतवार का भी उपयोग हम चारे के तौर पर कर सकते हैं खरपतवार में अधिकांशतः आयुर्वेदिक जड़ी बूटी रहती है जिसे हम गाय को चारे के तौर पर उपयोग कर उन्हें हष्ट पुष्ट रख सकते हैं

पशु चारे में पोषक तत्वों से भरपूर तैयार करने हेतु सुबबुल, सहजन के पत्ते का उपयोग हम ले सकते हैं प्रोटीन मिक्स हरा चारा का उत्पादन कर पशु चारे की लागत को हम कम कर सकते हैं अनाज के अवशेष की मात्रा ना के बराबर ही उपयोग में लेकर अच्छी दूध उत्पादन लिया जा सकता है।

जंगली खेत  wild farming के हरे चारे और सूखे चारे का मिश्रण संतुलित मिश्रण तैयार करें तो हमें बाजार से अन्य किसी भी प्रकार की पशु आहार लेने की जरूरत नहीं पड़ती ।देसी गाय से 5 लीटर से 15 लीटर तक दूध उत्पादन Milk production  आसानी से ली जा सकती है

देसी गाय के वजन के अनुसार और दूध उत्पादन Milk production की क्षमता अनुसार हरे चारे को तैयार कर पालन पोषण करना होगा।

देसी गाय को संतुलित मात्रा में भरपूर आहार दिया जाए तो उनकी दूध उत्पादन Milk production in india  क्षमता भी बढ़ते चले जाती है यह सबसे बड़ी वजह है कि भारतीय गाय की आहार हेतु विशेष ध्यान नहीं दिया गया जिस वजह से भारतीय गाय की दूध उत्पादन  Milk production in india क्षमता कम होती चली गई  इसलिए भारतीय देसी गाय के आहार प्रणाली को सुधारना होगा और उन्हें उच्च कोटि के आहार उपलब्ध कराने से उनके वृद्धि दर अच्छी रहती है और दूध उत्पादन क्षमता पूरी की पूरी मिलेगी। जंगली खेती wild farming डेरी फार्म संग आसानी से की जा सकती है



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