प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन का मूल्यांकन कैसे करें।How to evaluate the performance of natural farming

 प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन का मूल्यांकन कैसे करें।How to evaluate the performance of natural farming

 natural farming प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन का मूल्यांकन आज के समय में बहुत ही आवश्यक हो चुका है भारतीय खेती किसानी में प्राकृतिक खेती से संबंधित विशेष रूप से हर किसान को अवगत रहता है किंतु किसी कारणवश  प्राकृतिक खेती से किसान दूर होते चले गया। अंधाधुन रसायन और कीटनाशक के द्वारा की जाने वाली खेती की पद्धति और रासायनिक और कीटनाशक कंपनियों द्वारा की जाने वाली प्रलोभन के फेर में आकर किसान  प्राकृतिक खेती से दूर होते चला गया।


     प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन का                          मूल्यांकन 



प्राकृतिक खेती natural farming के लाभ कौन-कौन से हैं।  रसायन खेती के नुकसान क्या है दोनों का मूल्यांकन।



  • प्राकृतिक खेती natural farming में जुताई नहीं की जाती जिस वजह से भूमि की जैविक संरचना बनी रहती है और भूमि उपजाऊ पन बढ़ते ही चली जाती है जबकि रासायनिक खेती में गहरी जुताई की जाने की वजह से जैविक संरचना नष्ट हो जाती है और भूमि धीरे-धीरे बंजर हो जाता है
  •  प्राकृतिक खेती natural farming में जैविक अवशेष को भूमि में ही मंचिंग कर दी जाती है जिससे भूमि की जैविक कार्बन बढ़ते चले जाती है जबकि रासायनिक खेती में जैविक अवशेष को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है जिस वजह से भूमि के जीवाणु केचुआ आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं और भूमि बंजर हो जाती है
  •  प्राकृतिक खेती natural farming में भूमि की उपजाऊ बढ़ाने हेतु देशी गाय के गोबर से खाद तैयार कर उसे उपयोग में ली जाती है जिस वजह से खाद के माध्यम से सूक्ष्म जीवाणु और केंचुआ की वृद्धि खेत में बढ़ते चली जाती है और जमीन उपजाऊ होते ही चले जाता है जबकि रासायनिक खेती में रसायनिक यूरिया का भरपूर उपयोग होता है जो भूमि के सूक्ष्म जीवाणु बैक्टीरिया का विनाश करते हैं रासायनिक प्रक्रिया स्वरूप भूमि अम्लीय होते चले जाता है और भूमि बंजर हो जाती है
  •  प्राकृतिक खेती natural farming में जुताई ना कि जाने की वजह से भूमि मे सूक्ष्म छिद्र विद्यमान रहते हैं जो भूमि की पानी निकासी की व्यवस्था को बनाए रखते हैं जबकि रासायनिक खेती में गहरी जुताई की जाने की वजह से पानी निकासी अवरुद्ध हो जाती है जिस वजह से मानसून के महीनों में खेत की मिट्टी बह के नदी नालों में चली जाती है
  •  प्राकृतिक खेती natural farming में जो भी फसल ली जाती है पूरी तरह से जहर मुक्त रहती है प्राकृतिक खेती द्वारा ली जाने वाली हरी साग सब्जी फल हमारे इम्यूनिटी पावर को बढ़ाते चले जाते हैं जबकि रासायनिक खेती द्वारा ली जाने वाली फसल से हमारे इम्यूनिटी पावर को कमजोर करते हैं और शरीर अस्वस्थ हो जाता है
  •  प्राकृतिक खेती natural farming द्वारा औषधि खेती करने से जो फसल तैयार होती है कंपनियां द्वारा खरीद के दवाई बनाई जाती है जबकि रसायनिक खेती द्वारा औषधि खेती करने से फसल को कंपनियां खरीदी नहीं है क्योंकि इसमें  रसायनिक खाद और कीटनाशक का प्रयोग किया गया है
  • प्राकृतिक खेती natural farming के द्वारा तैयार फसल का बाजार मूल्य भी बहुत अच्छा है जबकि रासायनिक खेती के फसल का बाजार मूल्य की कोई गारंटी नहीं है कभी भी इसका रेट गिर सकता है
  • प्राकृतिक खेती natural farming के द्वारा तैयार फसल का विदेश में बहुत ज्यादा डिमांड होने की वजह से विदेशी मुद्रा देश में मिलती है जबकि रासायनिक खेती में बहुत बार अनाज को विदेश से लौटा दिया जाता है जिस वजह से देश की हानि और बदनामी होती है


      प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन का                          मूल्यांकन 

       

     प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन का                          मूल्यांकन


  प्राकृतिक खेती natural farming द्वारा उत्पादित अनाज का उपयोग करने से मनुष्यों के स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है और पूरी तरह से दीर्घायु प्राप्त होती है जो रासायनिक खेती में कभी संभव नहीं हो सकता।

 खेती किसानी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा रासायनिक यूरिया और कीटनाशक का अंधाधुंध प्रयोग किसानों द्वारा करने के लिए गलत तरीके से प्रचार प्रसार कर रहे हैं उनके विज्ञापन और लोभ में आकर किसान अपना खेत को पूरी तरह से बंजर कर चुके हैं इस हेतु आज के किसान वापस  प्राकृतिक खेती की ओर प्रवेश नहीं कर पा रहा है क्योंकि उनके मन को बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा पद भ्रष्ट कर चुके हैं

 natural farming को फिर से अपनाने हेतु किसान जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक हो चुका है ताकि किसान अपने स्वयं के स्वास्थ्य और देश के हित में काम करते हुए खेत की उपजाऊ क्षमता को निरंतर बढ़ाते चले जा सके।


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