होली की शुरुआत प्राकृतिक खेती द्वारा कैसे से शुरू हुई होली।Holi started with how natural farming started.

  

होली की शुरुआत  प्राकृतिक खेती द्वारा कैसे से शुरू हुई होली।Holi started with how natural farming started.





 प्राकृतिक खेती और होली भारत मैं मानव सभ्यता के विकास के साथ  होली का त्यौहार विश्व प्रसिद्ध है । होली समूह के गिले-शिकवे भूल के आपसी मेल मिलाप का ही त्यौहार है ।इस त्यौहार के उत्साह में हम एक दूसरे को गुलाल से रंग देते हैं और आपसी गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दिया जाता है। होली त्यौहार में जो गुलाल उपयोग में ली जाती है यह प्राकृतिक अखरोट और फूलों के रंग का मिश्रण करते हुए तैयार की जाती है ।





पलाश के फूल से होली के गुलाल बना के मनाई जाती है होली की त्यौहार।The festival of Holi is celebrated by making a Gulal of Holi with the flower of Palash.





होली के महीनों में जंगलों में पलाश के फूल बहुतायत मात्रा में खिले हुए मिल जाते हैं ।जिसे ग्रामीणों द्वारा संग्रहित कर उसे फूल को गर्म पानी में उबालकर रंग निकाल लिया जाता है ।यह रंग पूरी तरह से प्राकृतिक रंग होने की वजह से हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है।

भारत में ग्रीष्मकालीन महीनों में अत्यधिक तेज धूप की वजह से मनुष्य के  त्वचा संबंधित समस्या होती है जो भारतीय सांस्कृतिक परंपरा की वजह से होली के  त्यौहार में प्राकृतिक रंगों से होली मनाए जाने की वजह से मनुष्य के त्वचा संबंधित बीमारियां दूर हो जाती है।

सिंदूर के पेड़ पर सिंदूर के रंग निकाल के बनाई जाती है होली के गुलाल।Holi gulaal is made by extracting vermilion on vermilion tree




सिंदूर के पेड़ से सिंदूर के फल रहते हैं जो पूरी तरह से पकने के बाद सुख के तैयार हो जाते हैं ।हाथ लगाने से पूरी तरह से सिंदूर रंग तैयार हो चुके रहते हैं यह पूरी तरह से प्राकृतिक रंग तैयार हमें मिलता है ।जिसमें किसी और प्रकार की  पदार्थ को मिलाने की जरूरत नहीं है सिंदूर की उत्पादन ज्यादा ना होने की वजह से देवी देवताओं की होली में सिंदूर का उपयोग किया जाता है। बंगाल के प्रसिद्ध दुर्गा पूजा में महिलाएं सिंदूर की होली खेलते नजर आती है जो वहां की स्थानीय परंपरा है
सिंदूर के पाउडर को गर्म पानी में उबाल के अखरोट के पाउडर में मिलाते हुए घोल तैयार किया जाता है। तत्पश्चात उसे गर्म स्थान में सुखाकर पाउडर तैयार कर लिया जाता है

केसर के फूल के द्वारा होली के गुलाल विशेष रुप से महंगी गुलाल है।Holi gulal is a particularly expensive gulal by saffron flowers.




केसर की खेती प्राकृतिक खेती पूरी तरह से आज भी हिमालय के तराई में हिमाचल प्रदेश में प्रमुखता से की जाती है। ठंड प्रदेश की केसर बहुमूल्य सुगंधित और आयुर्वेद गुणों से भरपूर रहता है भोजन मिठाई मैं रंगो हेतु केसर उपयोग में ली जाती है गर्म पानी में केसर के पुष्प डाल के उसका कलर निकालने के पश्चात आरारोट के पाउडर में मिलाते हुए घोल तैयार कर देनी चाहिए तत्पश्चात उसे गर्म स्थान में रखकर उसे सुखा दिया जाता है सुखाने के उपरांत पाउडर तैयार कर होली गुलाल हेतु तैयार किया जा सकता है।

पीले  रंग हेतु हल्दी का उपयोग कर बारीक पीस के प्राकृतिक रंग तैयार किया जा सकता है।Natural color can be prepared by grinding turmeric for yellow color.








 हल्दी को पीस के भारतीय संस्कृति में शादी विवाह के समय रस्मो को अदा करते हुए हल्दी का लेप दूल्हा-दुल्हन को चढ़ाया जाता है ।साथ ही साथ पूरा परिवार, परिवार के पूरे सदस्य हल्दी की होली खेल ही लेते हैं औषधि गुणों से भरपूर हल्दी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने वाला हल्दी त्वचा रोग को दूर करने हेतु हल्दी का उपयोग बहुतायत में की जाती है अधिक मात्रा में हल्दी Rang, अखरोट का पाउडर में हल्दी के पाउडर का घोल तैयार करके मिलाके सुखा दिया जाता है तत्पश्चात उसे पीस के पाउडर तैयार कर लेना चाहिए।

अखरोट के पाउडर को पीस के  होली की गुलाल तैयार की जाती है।Gulaal of Holi is prepared by grinding walnut powder.







 उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश में अखरोट के पेड़ भारत में बड़ी तादाद में पाई जाती है ।अखरोट के पेड़ प्राकृतिक खेती की पद्धति से ही तैयार होने की वजह से पूरी तरह से जहर मुक्त रहती है अखरोट चा पाउडर पूरी तरह से प्राकृतिक होने की वजह से मनुष्यों के त्वचा संबंधित समस्या इसमें नहीं आती है अपितु त्वचा संबंधी समस्या का निदान अखरोट के पाउडर से की जाती है अत्याधिक मात्रा में प्राकृतिक रंग तैयार करने हेतु अखरोट का पाउडर और  प्राकृतिक कलर में मिलाकर अत्याधिक मात्रा में गुलाल तैयार की जाती है।
भारतीय होली पूरी तरह से प्राकृतिक रंगों से तैयार की हुई होली रहती है जो हमारे पुराने समय से इस संस्कृति को जीवित रखा हुआ है
वर्तमान समय में केमिकल रसायन द्वारा रंगों का प्रयोग करते हुए होली की गुलाल तैयार की जाती है जो पूरी तरह से त्वचा संबंधित बीमारी आने के साथ बड़ी-बड़ी बीमारियां भी इस रंगों से हमें हो सकती है।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट