खेती किसानी में कीटनाशक रसायन की छिड़काव की जरूरत है ?।Does the spraying of pesticide chemicals is needed in farming?

 क्या खेती किसानी में कीटनाशक रसायन की छिड़काव की जरूरत है ?।Does the spraying of pesticide chemicals is needed in farming?


क्या खेती किसानी में कीटनाशक पदार्थ की छिड़काव की जरूरत है इसे हम कैसे समझे कि कीटनाशक रसायन की इसमें जरूरत नहीं पड़ती और स्वता ही पेड़ पौधे अपना सुरक्षा खुद करके कीटनाशकों से अपने आप को बचा लेते हैं और पूरी तरह से स्वस्थ फल अनाज का उत्पादन कर  सकते हैं




किसान अपने खेत में फसल के रोपण के साथ ही फसल की देखरेख करने के दौरान कीट पतंगों से फसल की सुरक्षा के प्रति भी गंभीर रहता है किसी भी प्रकार के कीट पतंगों के आक्रमण फसल में होते ही किसान सर्वाधिक कीटनाशक पदार्थों का उपयोग करते हुए फसल की सुरक्षा करते हैं जिसकी वजह से की से तो फसल की सुरक्षा हो जाती है किंतु फसल पूरी तरह से दूषित हो के जहर फसल के अनाज और सब्जियों में रह जाती है जो हमारे भोजन के द्वारा हमारे शरीर में  प्रवेश कर हमारे स्वास्थ्य प्रणाली को पूरी तरह से प्रभावित कर हमें बीमार कर देते हैं।



 खेती किसानी में जंगली खेती पद्धति में कीट नियंत्रण हेतु किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ उपयोग नहीं की जाती है स्वतः  ही यह प्रकृति द्वारा नियंत्रित हो जाती है

खेती किसानी में जंगली खेती पद्धति में कीट नियंत्रण स्वतः से कैसे संभव होता है।How pest control is possible automatically in the wild farming system

  • फसल में दो प्रकार के कीट रहते हैं एक शत्रु किट दूसरा मित्र कीट  ।शत्रु कीट से हमें हानि होती है जिसे मित्र कीट द्वारा अपना भोजन बना ली जाने की वजह से हमारे फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं
  • अलग-अलग वर्ग के फसल ली जाने की वजह से कीट प्रकोप से फसल की सुरक्षा होती है  जैसे 5 layer model।
  • फसल के लेने से पहले भूमि की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखना जरूरी है ताकि फसल की बढ़त सही समय में अच्छी हो।
  • फसल लेने के साथ भूमि की मंचिंग सही तरीके से होता की भूमि से पानी का वाष्पीकरण ज्यादा ना हो और भूमि में पर्याप्त नमी रहें।
  •  सही बढ़त वाले फसल की प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है जो शत्रु कीट पतंगों से अपने आप को सुरक्षित रखते हैं।
  • जंगली खेत में खेती किसानी करते समय पक्षियों की भोजन व्यवस्था खेत में पर्याप्त रहनी चाहिए जिससे कीट पतंगों का नियंत्रण हो सके।


 कोई भी फसल पौधे बड़े पेड़ में स्वता से ही एक प्रतिरोधक क्षमता रहती है जो कि किट पतंगों के आक्रमण होने के बावजूद भी उसे पूरी तरह से सुरक्षित रह के फिर से पुष्प प्रांगण ले के नए तरीके से फसल को उसी सीजन में उत्पादित कर अच्छी फसल दे देती है। हाल ही के महीनों में एक आम पेड़ में नई पुष्प लगी हुई है। किसी वजह से उनके पुष्प में पूरी तरह से संक्रमण फैल जाने की या मधुमक्खी के द्वारा सही तरीके से प्रांगण नहीं होने की वजह से आम के बौर   झाड़ कर नए पुष्प लगने के साथ फसल नई तैयार करते चले जा रहे हैं जो एक उदाहरण मात्र है



















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इसी तरह से सरसों की फसल में भी कीट पतंगों का प्रकोप होने के बावजूद उसी फसल में नई पुष्प निकल के फसल को पूरी तरह से तैयार करते चले जाते हैं।
खेती किसानी में हमें कीट नियंत्रण हेतु अत्यधिक मात्रा में रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग को बंद करते हुए जहर मुक्त फसल लेने की शुरुआत कर देनी चाहिए ताकि स्वास्थ्य जीवन जी सके और भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती चले जाए भूमि पूरी तरह से स्वस्थ रहें।

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टिप्पणियाँ

  1. बहुत बढ़िया जानकारी।
    जिन्हे हम शत्रु कीट मानते है, वह भी प्रकृति द्वारा प्रकृति संतुलन बनाए रखने के लिए है। जैसे जब पलक में बीज बनने की अवस्था आती है तो उस में पत्ते खानी वाली सुंडी आ जाती है, किसान डर जाता है, जबकि वो सुंडी केवल पत्ते खाती है ताकि पोधा अपना पोषण बीज को से सके और बीज स्वस्थ हो। हहम नहीं समझते और उस सुंडी को मरने का सोचते है। प्राकृतिक की व्यवस्था अपने में पूर्ण है ।


    बीजू भाई, आपके प्रयोग सराहनीय है, इस ज्ञान को जन जन तक पहुंचना जरूरी है

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  2. धन्यवाद जी आपने इससे विषय को बहुत ही गंभीरता से अध्ययन किया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद यह बहुत ही बड़ा विषय है इसे हमें जितना हो सके समझना जरूरी है ताकि जन-जन तक हर किसान को समझ में आ जाएगी रसायनिक और कीटनाशक का प्रयोग बंद करते हुए हमें सादा सिंपल खेती करना चाहिए जी धन्यवाद

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