जंगली खेती ऋषि खेती की ग्रीष्मकालीन शुरुआत

 











जय भारत जय किसान बसंत के आगमन के बाद ग्रीष्मकालीन महीनों में जंगली खेती ऋषि खेती की तैयारी कैसे करें

 ग्रीष्मकालीन मैं हमारे खेत के खरपतवार और बड़े पेड़ पौधे के पत्ते झड़ जाते हैं और खरपतवार खड़े-खड़े सूख जाते हैं किसान भाइयों को ऐसे महीनों में अपने खेत की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए 

गर्मी के महीनों में जितने भी खरपतवार हमारे खेत में अनावश्यक रूप से खड़े रहते हैं उसे भूमि में किसी लकड़ी या लोहे की मदद से जमीन में सुला देना चाहिए और विशेष ध्यान रखना यह जरूरी है कि किसी भी प्रकार से खरपतवार में आग ना पकडे खेत के खरपतवार हमारे भूमि के मंचिंग के तौर पर काम में लिया जाएगा भूमि की सतह पूरी तरह से खरपतवार से ढके होने की वजह से गर्मी के महीनों में हमारे   भूमि के लाभदायक जीवाणु और केंचुए पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं जो अत्याधिक गर्मी होने की वजह से सुस्त अवस्था में चले जाते हैं भूमि के लाभदायक जीवाणु और केचुआ किसान के मित्र होते हैं जो भूमि को उपजाऊ बनाए रखते हैं 

 गर्मी के महीनों में फलों के बागवानी की तैयारी  शुरू किया जा सकता है केला आम पपीता नींबू अमरूद कटहल जामुन सीताफल बेर संतरा मौसंबी हमें जो भी फलदार पेड़ अपने खेत में लगाना हो तो 10 बाई 10  फीट के दूरी में 2 फीट लंबा और 2 फीट चौड़ा 2 फीट गहरा गड्ढे तैयार कर लेनी चाहिए गड्ढे में गोबर खाद नीम खली आदि जैविक खाद बराबर बराबर मात्रा में मिलाकर तैयार करके रख दिया जायेगा

मानसून के आगमन के साथ ही वृक्षारोपण  कर देने से हमारे खेत में पूरी तरह से बागवानी का मॉडल तैयार किया जा सकता है

 बीजों का चुनाव   हमारी देसी बीज का चुनाव सर्वोत्तम हमारे जलवायु के अनुकूल रहता है जिसमें हमें ज्यादा लागत लगाने की जरूरत नहीं है जो हमारे आसपास के किसानों से हमें संग्रहित कर लेना चाहिए
 






प्रति एकड़ बागवानी हम शुरू करते हैं तो 500 से 1000 पेड़ लगाया जा सकता है और आने वाले 3 से 5 वर्षों में पेड़ से हमें जो भी फल का उत्पादन होगा  उत्पादन से हम अपनी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं

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