जंगली खेती पाठशाला के साथ फलों की बागवानी से 10 लाख प्रति एकड़ की आमदनी कैसे कमाए।

 जंगली खेती पाठशाला के

 साथ फलों की बागवानी से

 10 लाख प्रति एकड़ की

 आमदनी कैसे कमाए।





जंगली खेती पाठशाला किसानों को प्रति एकड़ 1000000 रुपये तक की आमदनी कैसे कमाए। छत्तीसगढ़ स्तर पर किसानों के लिए निरंतर कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ के अलावा  अन्य प्रदेशों में भी जंगली खेती पाठशाला यूट्यूब और ब्लॉग के माध्यम से प्रचार प्रसार कर रही है, यूट्यूब चैनल जंगली खेती पाठशाला



 जानकारी के लिए क्लिक करें
















जंगली खेती पाठशाला का उद्देश किसानों की आमदनी बढ़ाना और बागवानी के माध्यम से हमारे जलवायु में बढ़ते उत्परिवर्तन को रोकना। बढ़ते तापमान को रोकने का सर्वाधिक अच्छा माध्यम फलदार पेड़ लगाना और किसानों की आमदनी को दुगुना करना है। घटते जल स्तर को बढ़ाना और भूमि की मिट्टी को पुनर्जीवित करना है किसानों को रसायन और कीटनाशक से मुक्त करके बिना जुताई के प्राकृतिक खेती करने के लिए जंगली खेती पाठशाला प्रतिबद्ध है।
धान की खेती से  कोई किसान धनवान नही बन सकता। इसलिए किसान से निवेदन है किसानों की कुल भूमि का कुछ प्रतिशत भूमि बागवानी के लिए उपयोग में लाएं। बागवानी में फलदार पेड़ जैसे नारियल आम कटहल नींबू जामुन आंवला सीताफल अमरूद ड्रैगन फूड लीची आदि पेड़ स्थानीय प्रकृति का अनुसार चुनाव करें और पेड़ों को उनकी निश्चित दूरी पर लगाएं जैसे नारियल का पेड़ प्रति नारियल 25 फीट की दूरी पर लगाएं और नींबू का पेड़ प्रति नींबू  20 फीट की दूरी पर लगाएं कटहल और आम जैसे बड़े पेड़ 35 बाई 35 से लगाएं इस तरह पेड़ लगाएं जिससे सूर्य की किरणें हर पेड़ के साथ-साथ भूमि में भी कुछ मात्रा में पहुंच सके।
इस तरह से प्रति एकड़ 25 बाई 25 फीट की दूरी में नारियल की खेती करें तो 70 पेड़ प्रति एकड़ लगेगा और नारियल के पेड़ बड़े होकर 5 वर्षों बाद फूल आना शुरू हो जाते हैं छठवें वर्षों से सातवीं आठवीं वर्षों में  प्रति पेड़ 300 फल प्रतिवर्ष लगते हैं।
बाजार में नारियल पानी प्रतिफल 50 से ₹60 का बिक्री होता है। किसान अनुमानित ₹35 में भी नारियल के फल को बिक्री करता है, तो उसे प्रति पेड़ ₹10000 तक की आमदनी हो सकती है इस तरह 70 पेड़ लगाने पर प्रति एकड़ किसान ₹700000 तक की आमदनी सिर्फ नारियल के खेती से ही कमा सकता है।





अतिरिक्त आमदनी में नारियल के साथ ,आम की खेती कटहल की खेती, नींबू की खेती, ड्रैगन फ्रूट की खेती को मिश्रित खेती कर प्रति एकड़ 10 लाख से ज्यादा की आमदनी किसान कमा सकता है। मिश्रित खेती करने से भूमि की जैविक विविधता बनी रहती है, जो दिन-प्रतिदिन भूमि को उपजाऊ बना कर रखती है, साथ ही साथ कीट पतंगों का खतरा मिश्रित खेती में अन्य पद्धति के मुकाबले में कम होता है।

धान के लिए बने खेत में बागवानी कैसे करें।

धान के खेत में निरंतर जुताई करने की वजह से जल निकासी भूमि में नहीं हो पाती है। ऐसे खेत में बागवानी शुरू करना किसानों के लिए कठिन हो जाता है ग्रीष्म काल में धान की खेती में बागवानी  करने की तैयारी शुरू करें बागवानी के लिए निश्चित दूरी पर पौधे लगाने की गड्ढा तैयार किया जाए गड्ढे  डेढ़ से 2 फीट  लंबाई * चौड़ाई * गहराई के होनी चाहिए यह गड्ढा ग्रीष्म काल के शुरू होते ही कर देनी चाहिए जिससे सूर्य की तेज किरणों से गड्ढे के अंदर घातक फंगस बैक्टीरिया और दीमक के घरों का विनाश हो जाता है।
मानसून की पहली बारिश के साथ प्रति गड्ढा 10 किलो वर्मी कंपोस्ट या अच्छी तरीके से तैयार गोबर खाद नीम की खली 500 ग्राम कुछ मात्रा में रेत और गोबर के कंडे की राख को भूमि से निकाली गई  ऊपरी मिट्टी के साथ मिलाकर गड्ढे को भर लिया जाए और गड्ढे के निशान के लिए बांस की बल्ली के टुकड़े को गढ़ा दिया जाए।
अच्छे मानसूनी बारिश होने के उपरांत गड्ढे में बागवानी के तैयारी के अनुसार पौधारोपण कर दें और उसे अच्छी तरह से धान के पैरा या पत्तों से ऊपरी मन्चिंग कर दे। और पौधे को लकड़ी की सहायता से बांध के खड़ा रखा जाए
धान की खेत में बागवानी करने के बाद किसी भी प्रकार की जुताई खेत में नही करना है और खेत में उचित मात्रा में गोबर खाद का छिड़काव कर दी जाए भूमि में उपस्थित सुषमा बैक्टीरिया केंचुए का विकास क्रम बढ़ती जाए ऐसे करने से भूमि में असंख्य छिद्र तैयार हो जाते हैं और भूमि की जल निकासी   भूमि में हो सके।


रसायन और कीटनाशक वाले खेत को जंगली खेती में कैसे परिवर्तित करें।




उपरोक्त विधि के साथ साथ करने के बागवानी शुरू करने के समय रसायन और कीटनाशक वाले खेत को जंगली  खेती विधि से परिवर्तन करने से खेत की जैविक विविधता  बढ़ेगी और भूमि के बैक्टीरिया सूक्ष्मजीव का विकास क्रम भी बढ़ेगा भूमि की जल निकासी भूमि में ही हो पाएगी ।इस हेतु पहले के 2 से 3 वर्ष रसायन और कीटनाशक वाले खेत में वर्मी कंपोस्ट या गोबर की अच्छी खाद का छिड़काव अच्छी तरह से कर ले
बागवानी में शुरू के 2 वर्ष ही अहम होते हैं इन 2 वर्षों में पहली बार से 10 किलो गोबर खाद और दूसरे वर्ष 20 किलो गोबर खाद प्रति पेड़ पौधे को  देना आवश्यक हो जाता है और ठंडी के समय और गर्मी में कुछ-कछ अंतराल में सिंचाई व्यवस्था को बनाए रखें
बागवानी के प्रथम दूसरे वर्षों में खेत के खरपतवार और पौधे के सूखे पत्ते  का उपयोग भूमि में मन्चिंग के रूप में अपनाएं ।



प्रति एकड़ बागवानी शुरू करने की लागत।

धान गेहूं चना सब्जियों में प्रतिवर्ष की लागत किसान को वाहन करनी होती है।  25000 तक की लागत किसान प्रतिवर्ष करके औसतन 20000 से 50000 तक की कमा पाता है। साथ ही मनुष्य श्रम निरंतर लगा रहता है इन लागतो की तुलना में बागवानी की लागत एक ही बार की होती है
बागवानी में गड्ढे तैयार करने की लागत प्रति गड्ढ ₹30 के मानते 200 गड्ढे की लागत ₹6000 प्रति एकड़ की आती है प्रति गड्ढे वर्मी कंपोस्ट या गोबर के सूखे खाद की लागत ₹100 हो तो कम से कम ₹20000 की लागत खाद देने में प्रति एकड़ और पौधा ₹50 से ₹500 तक का पौधा अलग-अलग फलों के अलग-अलग रेट में मिलते हैं जो औसतन 50000 से ₹80000 तक का सिर्फ एक बार की ही लागत रहती है फलों के पौधे हमेशा उन्नत नस्ल के  अच्छे नर्सरी से लेना आवश्यक होता है ऐसे फलों का चयन करें जिसे बाजार में बिक्री करके के अच्छा मुनाफा किसान अर्जित कर सके।
बागवानी में औसतन लागत प्रति एकड़  ₹100000 आती है जो सिर्फ एक बार की ही लागत रहती है किसानों को हर बार बगवानी हेतु लगात लगाने की आवश्यकता नहीं होती।

जंगली खेती पाठशाला

 किसानों को बागवानी के

 प्रोत्साहन के लिए कैसे

 मददगार है।

जंगली खेती पाठशाला छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ मिलकर बागवानी को प्रोत्साहन करने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। हमारे बालोद जिला के अंतर्गत  ग्राम पंचायतों में प्रति किसान को बागवानी से संबंधित पूरी जानकारी दी जाती है। बागवानी करने के इच्छुक किसानों को फलों के पौधे की उचित मूल्य पर किसानों के खेत पर पहुंचा कर दी जा रही है साथ ही साथ बागवानी से संबंधित आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध कराया जा रहा है। यह सारी प्रक्रिया पौधे लगाने से फल आने तक जो भी कृषि संबंधित सलाह रहेगी किसानों को समय समय पर मिलती रहेगी।
यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है कि हमारे यह प्रयास अभी 4 ग्राम पंचायत में की गई और 600 नारियल के पेड़ के पौधे और अन्य फलदार पौधे किसानों के द्वारा लेकर लगा दी गई है ।
हमारा यह प्रयास छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के अन्य राज्यों में भी रहेगा। भारत के अन्य राज्य के किसान अगर जंगली खेती विधि से फलों की बागवानी शुरू करते हैं। तो जंगली खेती पाठशाला किसानों को फलदार पौधे उपलब्ध कराने के साथ-साथ लगाने की पूरी विधि और फसल संबंधित सारी जानकारी समय समय पर उपलब्ध कराती रहेगी।
जंगली खेती पाठशाला से संपर्क करने के लिए दिए गए नंबर में व्हाट्सएप करें या कॉल करें 9098758183


जंगली खेती पाठशाला का मुख्य उद्देश्य।

जंगली खेती पाठशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय को दुगनी करना और बागवानी के माध्यम से बढ़ते हुए जलवायु तापमान को कम करना किसानों द्वारा आधुनिकरण के नाम से जंगल काट के धान की खेती गेहूं की खेती अन्य फसलों की खेती की शुरुआत की गई जिस वजह से हमारे आसपास के क्षेत्र के सारे जंगल नष्ट हो चुके हैं। जंगल के नष्ट होने से विगत कुछ वर्षों में भूमि की तापमान में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है इस बढ़ोतरी की वजह से हमारे खाद्यान्न का उत्पादन भी कम हो चुका है और हमारे स्वास्थ्य भी प्रभावित हो चुका है इस प्रभाव को रोकने के लिए हमें फिर से जंगल लगाना होगा ऐसा जंगल जिसमे फलदार पेड़  लगे और किसानों की आय बागवानी के माध्यम से दुगनी हो सके
भारत में अन्य राज्यों में भी खेती करने के लिए किसानों के द्वारा जंगल को पूरी तरह से उजाड़ दिया गया है उजड़े हुए जंगल को पुनर्स्थापना हेतु हम फलदार पेड़ के माध्यम से ही जंगल तैयार कर सकते हैं और बढ़ती हुई जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है
ऐसा फलदार जंगल जो जंगली विधि से तैयार हो और रसायनी कीटनाशक पदार्थ का प्रयोग  जंगल में ना हो पाए। पूरी तरह से जंगली विधि फुकुओका फार्मिंग के माध्यम से यह खेती हमें करनी होगी।
जंगली खेती विधि फुकुओका फार्मिंग से भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होता है
जंगली खेती पाठशाला का उद्देश्य जहर मुक्त रासायनिक मुक्त खेती के माध्यम से फसलों का उत्पादन कर किसानों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाना साथ ही साथ भारतीय ग्राहकों को भी किसानों से उचित मूल्य पर शुद्ध जहर मुक्त अनाज और फल मिल पाए इसे सुनिश्चित करना।

इन सवालों का जवाब किसानों को समय-समय पर मिल सकता है

1 Guava Farming Business Idea: अमरूद की खेती से हर साल कमाएं 15 लाख रुपये का मुनाफा, ये ट्रिक आजमाएंगे तो और बढ़ जाएगी आमदनी

  2 Papaya की खेती से 12-13 लाख तक का मुनाफा

  3 Dragon Fruit Farming: ड्रैगन फ्रूट की खेती से कैसे कमायें सालाना प्रति एकड़ 6 से 7 लाख रुपये?

इन्हें भी अवश्य पढ़ें----


टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट